iGrain India - भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से मूंग एवं उड़द की ग्रीष्मकालीन फसल की खरीद के लिए नई नीति की घोषणा की है। इसके तहत 12 जून से इन दोनों दलहनों की खरीद प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और 31 जुलाई तक चलती रहेगी। 2022-23 सीजन के लिए केन्द्र सरकार ने मूंग का न्यूतनम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) 7755 रुपए प्रति क्विंटल तथा उड़द का समर्थन मूल्य 6600 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है और किसानों से इसी मूल्य स्तर पर दलहन खरीदा जाएगा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि उड़द का खुला बाजार भाव फिलहाल सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है इसलिए किसान सरकार को अपना माल बेचेंगे- इसमें संदेह है। जहां तक मूंग का सवाल है तो इसका दाम समर्थन मूल्य के आसपास या उससे कुछ नीचे है और इसकी सरकारी खरीद हो सकती है।
मध्य प्रदेश सरकार की नई नीति के अनुसार मूंग एवं उड़द की खरीद सप्ताह में पांच दिन सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक होगी और क्रय केन्द्र से 50 कि०मी० के दायरे में इसके सुरक्षित भंडारण के लिए गोदाम की व्यवस्था करनी होगी। प्रत्येक केन्द्र के लिए किसानों की अधिकतम संख्या 2000 तथा खरीद की अधिकतम मात्रा 5 से 8 हजार टन तक नियत की गई है।
इसके तहत तीन साल तक माइक्रो क्रेडिट से इतर काम करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों को भी क्रय केन्द्र खोलने की स्वीकृति देने का फैसला किया गया है। इन समूहों को 10 प्रतिशत क्रय केन्द्र आवंटित किए जाएंगे।
जिन जिलों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद की जाएगी उसमें नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खंडवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकला, भिंड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़, मंडला, शिवपुरी, अशोक नगर, इंदौर एवं बालाघाट शामिल हैं।
इसके अलावा जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, सिवनी, उमरिया, मंडला, पन्ना तथा बालाघाट जिले में किसानों से समर्थन मूल्य पर उड़द की खरीद की जाएगी। मालूम हो कि मध्य प्रदेश उड़द का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है मगर वहां खरीफ सीजन में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है जबकि ग्रीष्मकालीन या जायद सीजन में भी इसकी थोड़ी-बहुत पैदावार होती है। सरकारी नीति के अनुसार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) तथा सहकारी समितियों द्वारा भी मूंग एवं उड़द की खरीद की जाएगी। प्रत्येक सहकारी समिति को अधिक से अधिक दो क्रय केन्द्र आवंटित किए जा सकते हैं।