iGrain India - दुबई। अग्रणी उद्योग- व्यापार विश्लेषक का कहना है कि प्रमुख निर्यातक देशों में शानदार उत्पादन होने के संकेत मिल रहे हैं जबकि दो महत्वपूर्ण आयातक देशों में मांग कमजोर पड़ने की आशंका है। इसे देखते हुए 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में लाल मसूर का वैश्विक बाजार भाव कुछ नरम पड़ सकता है।
विश्लेषक के मुताबिक तुर्की में इसका आयात चालू मार्केटिंग सीजन के 6.75 लाख टन से घटकर आगामी सीजन में 5.22 लाख टन पर सिमटने की संभावना है। सनद रहे की तुर्की मुख्यत: पुनर्निर्यात उद्देश्य के लिए लाल मसूर आयात करता है लेकिन अगले सीजन में इसके एक प्रमुख बाजार में मांग घटने तथा स्थिति अनिश्चित करने की संभावना है। इराक सरकार पिछले दो साल से दलहनों के आयात के लिए टेंडर जारी कर रही है जिससे इसका कारोबार प्राइवेट व्यापारियों के हाथ से निकलता जा रहा है।
हालांकि इससे इराक में तुर्की से मसूर के आयात की मांग बढ़ गई और तुर्की को कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया से अधिक मात्रा में माल मंगाकर उस मांग को पूरा करना पड़ा। वर्ष 2022 में इराक ने तुर्की से 2.20 लाख टन मसूर का आयात किया जबकि उससे पिछले तीन साल के दौरान वहां महज 60-70 हजार टन का वार्षिक आयात हो रहा था। लेकिन इराक सरकार की नीति की समय सीमा जून में समाप्त हो रही है और अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वहां इस नीति का नवीनीकरण होगा या नहीं और यदि नवीनीकरण हुआ तो वह कितने समय के लिए होगा। विश्लेषक को लगता है कि इस बार पूरे वर्ष के लिए नवीनीकरण नहीं होगा और इसलिए वहां तुर्की से तथा तुर्की में कनाडा-ऑस्ट्रेलिया से लाल मसूर का आयात घट सकता है।
तुर्की से 2022-23 के मौजूदा सीजन में करीब 5.50 लाख टन मसूर का निर्यात होने का अनुमान है जबकि 2023-24 के सीजन में यह घटकर 4.30 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है।
भारत लाल मसूर का एक अन्य प्रमुख आयातक देश है। चालू वर्ष के दौरान यहां मसूर का उत्पादन बढ़कर 16 लाख टन के करीब पहुंच जाने की संभावना है जो पिछले साल के अनुमानित उत्पादन 12.70 लाख टन से करीब 25 प्रतिशत ज्यादा है। इसके फलस्वरूप वहां मसूर का आयात 8.58 लाख टन से घटकर 7.10 लाख टन पर सिमट जाने की संभावना है। यदि अरहर (तुवर) का निराशाजनक उत्पादन नहीं हुआ होता तो मसूर के आयात में और भी गिरावट आ सकती थी। आमतौर पर मसूर के मुकाबले तुवर का भाव 5-7 रुपए प्रति किलो ऊपर रहता है लेकिन अब 45-50 रुपए प्रति किलो ऊपर चल रहा है। इससे मसूर के आयात की स्थिति कुछ हद तक सामान्य रहने की उम्मीद की जा रही है।