iGrain India - हैदराबाद । थाईलैंड पिछले साल से ही इराक को चावल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है जबकि उससे पूर्व भारत पहले स्थान पर था। उधर ईरान भी थाईलैंड से चावल का आयात बढ़ा रहा है क्योंकि उसे मौद्रिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) के अनुसार चालू वर्ष के दौरान इराक में चावल का आयात बढ़कर 22 लाख टन पर पहुंच सकता है। इराक द्वारा जनवरी-अप्रैल के चार महीनों में 8.15 लाख टन चावल का आयात किया गया जिसमें थाई चावल की भागीदारी 57 प्रतिशत तथा भारतीय चावल की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से कुछ ज्यादा रही।
उस्डा के अनुसार वर्ष 2014 से ही इराक में थाई चावल का निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ने लगा था और वहां भारत तथा वियतनाम से उसकी भागीदारी पीछे हो गई थी।
लेकिन वर्ष 2022 में उसने खोई हुई हिस्सेदारी हासिल कर ली और इराक को चावल का सर्वाधिक निर्यात करने वाला देश बन गया। उस्डा का कहना है कि इराक में भारतीय चावल का निर्यात इसलिए घट गया कि वहां उपभोक्ता अब बासमती चावल के बजाए थाईलैंड के गैर सुगंधित सफेद चावल को ज्यादा पसंद करने लगे हैं।
थाईलैंड के विदेश व्यापार विभाग के महानिदेशक का कहना है कि वर्ष 2022 में 16 लाख टन की खरीद के साथ इराक थाई चावल का सबसे बड़ा आयातक बन गया जहां 2021 के मुकाबले निर्यात में 458 प्रतिशत की शानदार बढ़ोत्तरी हुई।
थाईलैंड से जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में करीब 20.60 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जिसमें 16.4 प्रतिशत भाग इराक को शिपमेंट किया गया और वह इसका सबसे बड़ा खरीदार बना रहा।
उस्डा के मुताबिक इराक संसार में चावल का चौथा सबसे बड़ा आयातक देश बन सकता है क्योंकि पानी की कमी के कारण धान-चावल के उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है। वैसे इराक में भारतीय बासमती चावल का निर्यात भी बढ़ रहा है।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि संभवतः मुद्रा की कमी के कारण इराक थाई चावल का आयात बढ़ा रहा है। वहां अप्रैल 2023 में 57 हजार टन बासमती चावल मंगाया गया जो अप्रैल 2022 के आयात 35 हजार टन से काफी अधिक रहा। भारत को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
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