iGrain India - कलबुर्गी । दक्षिण भारतीय राज्य- कर्नाटक के कई इलाकों में इस वर्ष न केवल मानसून-पूर्व की बारिश काफी कम हुई बल्कि मानसून के आने के बाद भी अपेक्षित वर्षा नहीं हो रही है।
इसके फलस्वरूप बीदर, कलबुर्गी, मैसूर, यद्गीर, चामराज नगर तथा बेलागवी सहित कुछ अन्य जिलों में खरीफ फसलों की बिजाई एवं प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
आमतौर पर कोडागू तथा मलनाड क्षेत्र में मानसून-पूर्व की अच्छी बारिश होती रही है लेकिन इस वर्ष वहां भी वर्षा का भारी अभाव देखा गया। चूंकि बांधो-जलाशयों में पानी का भंडार काफी घट गया है जिससे कुछ जिलों के शहरी इलाकों में पेयजल का संकट उत्पन्न होने की आशंका है इसलिए फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होना मुश्किल लग रहा है।
एक अग्रणी कृषि मौसम वैज्ञानिक के अनुसार इस बार मानसून की गति बढ़ने लगी थी और ऐसा लग रहा था कि चालू सप्ताह के दौरान समूचे कर्नाटक में अच्छी बारिश होगी लेकिन बीच में यह बिपरजॉय समुद्री तूफान आ गया है जो मानसूनी हवा एवं बादल की दशा तथा दिशा को बिगाड़ सकता है।
मालूम हो कि अरब सागर के ऊपर यह कम दाब का क्षेत्र पहले डिप्रेशन में बदला और अब अत्यन्त सघन होकर महातूफान बिपरजॉय में परिणत हो गया है।
इसने अत्यन्त तेज गति से आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और मानसूनी बादल को भी अपने साथ ले लिया है। कल या परसों (14-15 जून) को यह समुद्री चक्रवाती तूफान गुजरात तट पर पहुंचने की उम्मीद है।
कर्नाटक एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य है। वह देश में तुवर के उत्पादन में प्रथम एवं गन्ना के उत्पादन में तीसरे नम्बर पर है।
चूंकि पिछले साल कर्नाटक के सबसे प्रमुख तुवर उत्पादक जिले कलबुर्गी, बीदर एवं यद्गीर में खराब मौसम एवं प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से फसल को भारी नुकसान होने के कारण उत्पादन में काफी गिरावट आ गई और बाजार भाव तेज हो गया इसलिए चालू खरीफ सीजन में वहां इसका बिजाई क्षेत्र बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। राज्य कृषि विभाग ने भी तुवर के क्षेत्रफल का लक्ष्य बढ़ा दिया है।
लेकिन मानसूनी वर्षा के अभाव में किसान इसकी बिजाई की रफ्तार बढ़ाने में सफल नहीं हो रहे हैं।
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