iGrain India - राजकोट । वर्ष 2023 के दौरान मूंगफली के दाम में करीब 11 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो चुकी है क्योंकि तेल मिलर्स एवं प्रोसेसर्स के साथ-साथ इसमें निर्यातकों की भी मजबूत मांग देखी जा रही है। इसके फलस्वरूप हाजिर बाजार में मूंगफली की आपूर्ति की स्थिति जटिल होती जा रही है। बाजार में और अधिक तेजी की उम्मीद से उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट इसका स्टॉक रोकने का प्रयास कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 के दौरान मूंगफली के निर्यात में 30.11 प्रतिशत की शानदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई जिससे पता चलता है कि चीन सहित अन्य प्रमुख आयातक देशों में इसकी मांग काफी मजबूत रही। अधिकांश निर्यातक देशों के साथ-साथ चीन में भी ज्यादा उपयोग होने से मूंगफली की वैश्विक खपत में कुछ इजाफा हुआ जबकि वैश्विक आपूर्ति में इसके अनुरूप वृद्धि नहीं हुई।
वैसे बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने तथा औसत उपज दर में सुधार आने से विश्व स्तर पर मूंगफली के उत्पादन में इजाफा होने के संकेत मिल रहे हैं। अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) के अनुसार भारत में इसका उत्पादन 3 लाख टन बढ़कर 66 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के प्रमुख उत्पादक इलाकों में पिछले साल मानसून की अच्छी बारिश होने से मूंगफली की औसत उपज दर काफी सुधर गई। अब खरीफ कालीन मूंगफली की बिजाई भी आरंभ हो गई है।
एक अग्रणी कॉमोडिटी एक्सचेंज- एनसीडीईएक्स में शीघ्र ही मूंगफली में वायदा सौदों की लांचिंग शुरू होने की संभावना है। 2021-22 सीजन के दौरान भारत में मूंगफली की क्रशिंग मात्रा का अनुमान घटाकर 38 लाख टन नियत किया गया है। समीक्षकों के मुताबिक मिलर्स- प्रोसेसर्स को क्रशिंग के लिए समुचित मात्रा में इसका स्टॉक उपलब्ध नहीं हो सका।
2022-23 की तुलना में 2023-24 सीजन के दौरान मूंगफली के वैश्विक कारोबार में 8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है क्योंकि अर्जेन्टीना से इसके शिपमेंट में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। इसके अलावा भारत, अमरीका एवं सेनेगल से भी मूंगफली का निर्यात बढ़ने के आसार हैं। बेहतर निर्यात के कारण सेनेगल तथा अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र के देशों में मूंगफली का स्टॉक कम बचेगा जिससे इसके वैश्विक अधिशेष स्टॉक में 6 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। चीन में मूंगफली का आयात 1.50 लाख टन बढ़कर 14 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। अमरीका में मूंगफली का उत्पादन कुछ सुधरकर 28 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है।