iGrain India - जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में केवल परम्परागत किस्मों की सरसों का उत्पादन होगा और जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरसों का सबसे बड़ा उत्पादक प्रान्त है और कुल राष्ट्रीय उत्पादन में 45 प्रतिशत का योगदान करता है।
पिछले दिनों प्रांतीय राजधानी की मंडी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कृषि एवं खाद्य उत्पाद परीक्षण प्रयोगशाला का शिलान्यास करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि राजधानी मंडी में प्रयोगशाला निर्माण के लिए राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ को मुफ्त में जमीन उपलब्ध करवाई गई ताकि इसे देश की सबसे बड़ी परीक्षण प्रयोगशाला के तौर पर निर्मित किया जा सके।
मुख्यमंत्री का कहना था कि इस तरह की प्रयोगशाला से भारतीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पाद बनाने में सहायता मिलेगी। इससे राजस्थान में निर्यात का एक नया आयाम स्थापित हो सकेगा।
शिलान्यास के अवसर पर राजस्थान के कृषि मंत्री, उद्योग मंत्री, पी एच ई डी मंत्री तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के साथ अनेक वरिष्ठ अधिकारी, रीको के डायरेक्टर, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता एवं उपाध्यक्ष डॉ० मनोज मुरारका एवं प्रमुख व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
ड़ॉ० मुरारका द्वारा जीएम सरसों के बारे में अवगत करवाए जाने पर मुख्यमंत्री ने इसके दुष्परिणाम पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए ड़ॉ० मुरारका तथा राज्य के कृषि मंत्री मुरारीलाल मीणा को जीएम सरसों के दुष्परिणाम के बारे में एक ज्ञापन तैयार करके सौंपने के लिए कहा ताकि इसे केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करके समूचे देश में इसके ट्रायल तथा व्यावसायिक उत्पादन पर रोक लगाने का पुरजोर प्रयास किया जा सके। राजस्थान में इसकी स्वीकृति नहीं दिए जाने का भी निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर डॉ० मनोज मुरारका द्वारा सरसों एवं सरसों तेल पर किए गए गंभीर अध्ययन की प्रशंसा करते हुए उन्हें विश्व में भारत, राजस्थान एवं सरसों को गौरवान्वित करने के लिए उन्हें प्रथम सरसों पुरुष की उपाधि तथा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।
दरअसल डॉ० मनोज मुरारका का नाम देश-विदेश में फैला हुआ है। उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा भारत सरकार का पुरस्कार एवं राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान रत्न एवं राजस्थान गौरव पुरस्कार पहले ही प्राप्त हो चुका है।
इसके साथ-साथ डॉ० मुरारका को अमरीका, स्पेन, इटली, फ्रांस, इजरायल एवं नेपाल सहित अनेक देशों में उनके अध्ययन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
उनकी फर्म द्वारा उत्तम क्वालिटी के सरसों तेल का उत्पादन एवं व्यवसाय किया जा रहा है। उन्होंने लम्बे संघर्ष के बाद भारत सरकार को सरसों तेल में मिश्रण के नियम को बंद करवाने के लिए राजी कर लिया।