iGrain India - रेगिना । कनाडा में काबुली चना की बिजाई पूरी हो चुकी है और कुल मिलाकर फसल की हालत सामान्य बताई जा रही है। सस्कैचवान प्रान्त में इसका बिजाई क्षेत्र करीब 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
नई फसल की कटाई-तैयारी अगस्त में शुरू होने की संभावना है इसलिए व्यापारियों का ध्यान उस पर केन्द्रित हो गया है। इसके फलस्वरुप वर्तमान स्टॉक की खरीद बिक्री की गति धीमी पड़ती जा रही है जिससे कीमतों में स्थिरता बनी हुई है।
वैसे भी कनाडा में अब काबुली चना का लम्बा-चौड़ा स्टॉक नहीं बचा है और उत्पादक अपने बेचे हुए स्टॉक की बिक्री में ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं।
कनाडाई विश्लेषकों के अनुसार भारत के कुछ इलाकों में सूखे जैसी स्थिति बनने की सूचना मिल रही है जिससे खरीफ कालीन दलहन फसलों की बिजाई एवं पैदावार प्रभावित हो सकती है।
यद्यपि काबुली चना रबी कालीन दलहन है और इसकी फसल की कटाई-तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी है लेकिन यदि अन्य दलहनों का भाव तेज हुआ तो भारत से काबुली चना का निर्यात प्रभावित हो सकता है और तब कनाडा एवं मैक्सिको जैसे देशों को अपने-उत्पाद का निर्यात बढ़ाने के लिए वैश्विक बाजार में कठिन चुनौती या गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वैसे कनाडा से काबुली चना के निर्यात की गति लगभग सामान्य बनी हुई है और ऐसा प्रतीत होता है कि 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अगस्त-जुलाई) के लिए इसका जो निर्यात लक्ष्य नियत किया गया है वह आसानी से हासिल हो जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि कनाडा की मंडियों में काबुली चना का वर्तमान समय में प्रचलित भाव ऐतिहासिक औसत स्तर की तुलना में काफी ऊंचा है।
मौजूदा स्टॉक वाले काबुली चना का दाम 50 सेंट प्रति पौंड के आसपास बताया जा रहा है लेकिन इस ऊंचे मूल्य स्तर पर खरीदारों ने इसकी खरीद से दूरी बनानी शुरू कर दी है। आगामी नई फसल के काबुली चना का अग्रिम अनुबंध 47-48 सेंट प्रति पौंड के मूल्य स्तर पर हो रहा है।
इसकी खरीद में भी व्यापारियों की दिलचस्पी कम देखी जा रही है। इसका प्रमुख कारण फसल की प्रगति के लिए मौसम की हालत का अनुकूल होना है। खरीदारों को लगता है कि बेहतर उत्पादन की उम्मीद से आगामी समय में काबुली चना का भाव कुछ नरम पड़ सकता है।