iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) द्वारा चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 23.25 लाख टन से अधिक चना की खरीद की जा चुकी है जबकि लगभग 14 लाख टन के पिछले बकाया स्टॉक के साथ इसकी कुल उपलब्धता बढ़कर 37 लाख टन से ऊपर पहुंच गई है।
अब इस विशालकाय स्टॉक के चने को बेचना सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
समझा जाता है कि केन्द्र सरकार राज्यों पर इस चना के स्टॉक का उठाव करने के लिए दबाव डाल रही है लेकिन राज्य सरकारें इसके लिए ज्यादा उत्साहित नहीं है।
खुले बाजार में हाल के दिनों में कुछ सुधार आने के बावजूद चना का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहा है।
मालूम हो कि केन्द्र सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 5230 रुपए से 105 रुपए बढ़ाकर इस बार 5335 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसका बाजार भाव 4800/5000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहा है।
पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 15 जून तक चना की सरकारी खरीद मध्य प्रदेश में 8.02 लाख टन से फिसलकर 7.97 लाख टन तथा गुजरात में 5.59 लाख टन से लुढ़ककर 3.28 लाख टन पर सिमट गयी।
इसी तरह चना की सरकारी खरीद राजस्थान में 2.99 लाख टन से घटकर 2.14 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 27 हजार टन से गिरकर 14 हजार टन रह गई। दूसरी ओर महाराष्ट्र में चना की खरीद 7.60 लाख टन से सुधरकर 7.75 लाख टन पर पहुंची।
दक्षिणी राज्यों में कर्नाटक में करीब 80 हजार टन, आंध्र प्रदेश में लगभग 65 हजार टन तथा तेलंगाना में 50 हजार टन चना खरीदा गया।
सरकार का इरादा विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत अरहर (तुवर) दाल के स्थान पर साबुत चना या चना दाल की आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा स्कूलों में भी मिड डे मील योजना के अंतर्गत चना दाल का उपयोग बढ़ाना है।
लेकिन जहां परम्परागत रूप से तुवर दाल को पसंद किया जाता है वहां चना दाल के प्रति कोई खास दिलचस्पी नहीं है। यदि इन मदों में खपत नहीं बढ़ी तो नैफेड को खुले बाजार में विशाल मात्रा में चना बेचने के लिए विवश होना पड़ सकता है जिससे कीमतों पर दबाव बरकरार रह सकता है।