iGrain India - राउरकेला । केन्द्र सरकार द्वारा अरहर (तुवर) का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 सीजन के लिए घोषित किया गया है वह वर्तमान समय में प्रचलित बाजार मूल्य से काफी कम है।
इससे उड़ीसा में सुंदरगढ़ जिले के कुछ परम्परागत अरहर उत्पादक किसान काफी नाराज या असंतुष्ट हैं और वे चालू खरीफ सीजन में तुवर के बजाए अन्य फसलों की खेती को प्राथमिकता दे सकते हैं।
पिछले साल खरीफ सीजन में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। वहां विपणन केन्द्रों तक किसानों की अच्छी पहुंच नहीं होने के बावजूद उसने सरकार को अपना उत्पाद बेचने से इंकार कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केन्द्र सरकार ने 2022-23 सीजन के 6600 रुपए प्रति क्विंटल से 400 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि घरेलू मंडियों में साबुत तुवर एवं इसकी दाल का भाव इससे काफी ऊंचा चल रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे होने से स्थानीय व्यापारी एवं बिचौलिये किसानों से एमएसपी से कुछ ऊंचे दाम पर अरहर की खरीद कर लेते हैं जिससे सरकारी एजेंसियों के लिए इसकी खरीद की गुंजाईश ही नहीं बचती है।
एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी के अनुसार उड़ीसा राज्य सहकारी विपणन महासंघ (मार्कफेड) को पिछले साल 6600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से अरहर खरीदने का निर्देश दिया गया था लेकिन उस समय तक खरीद की प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी थी और एजेंसी को तुवर खरीदने में सहायता नहीं मिल सकी।
उड़ीसा सहित देश के अन्य विभिन्न राज्यों में तुवर की मांग काफी मजबूत बनी हुई है जिससे अंतत: उत्पादकों को फायदा हो रहा है लेकिन चूंकि उन्हें मौजूदा बाजार मूल्य के बारे में सटीक सूचना नहीं मिल पाती है इसलिए वे स्थानीय व्यापारियों- बिचौलियों के झांसे में आ जाते हैं और काफी नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेच देते हैं।
छोटे एवं सीमांत किसानों को इससे ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि वे लम्बे समय तक तुवर का स्टॉक अपने साथ रखकर बाजार से सूचना मिलने का इंतजार नहीं कर सकते हैं। सुंदरगढ़ जिले में अरहर का उत्पादन क्षेत्र वर्ष 2021 में 7229 हेक्टेयर था जो वर्ष 2022 में बढ़कर 9500 हेक्टेयर पर पहुंच गया।