iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर बना हुआ है। पिछले तीन दिन के अंदर मानसून की बारिश घटकर सामान्य औसत की तुलना में 37 प्रतिशत रह गई जबकि 16 जून तक 47 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी। वस्तुतः बिपरजॉय महातूफान के कारण गुजरात एवं राजस्थान के कई जिलों में अत्यन्त भारी वर्षा हुई और अब भी कहीं-कहीं हो रही है। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर करीब 70 प्रतिशत क्षेत्र में सामान्य स्तर से कम वर्षा हुई है। यदि बिपरजॉय समुद्री चक्रवाती तूफान नहीं आता तो मानसून की बारिश में जबरदस्त गिरावट आ सकती थी। दरअसल 11 जून से ही मानसून में ठहराव देखा जा रहा था। मौसम विभाग ने आज यानी 19 जून से इसकी गतिशीलता पुनः बढ़ने का अनुमान लगाया है। उसका कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले 2-3 दिनों में आगे बढ़कर दक्षिणी प्रायद्वीप के औऱ अधिक भागों, पश्चिम बंगाल, झारखंड तथा बिहार तक पहुंच सकता है क्योंकि इसके लिए हालत अनुकूल है। एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन (तूफानी परिसंचरण) पूर्वोत्तर बिहार तथा इसके निकटवर्ती क्षेत्रों के ऊपर बरकरार है लेकिन इस परिसंचरण से निकला ट्रफ अब झारखंड से गुजरते हुए दक्षिणी छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ गया है।
मौसम विभाग के मुताबिक अखिल भारतीय स्तर पर 1 से 16 जून 2023 के दौरान दीर्घकालीन औसत (एलपीए) के सापेक्ष मानसून की वर्षा 47 प्रतिशत कम हुई थी मगर गुजरात एवं राजस्थान में हुई जोरदार बारिश के कारण 18 जून तक कुल वर्षा की कमी 37 प्रतिशत रह गई। राजस्थान में 1-16 जून के दौरान सामान्य औसत से 18 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी जबकि 19 जून तक यह अधिशेष वर्षा उछलकर 220 प्रतिशत पर पहुंच गई। बिपरजॉय तूफान के कारण राज्य के दक्षिणी एवं पश्चिमी क्षेत्र में अत्यन्त मूसलाधार वर्षा हुई। इसी तरह गुजरात में 16 जून तक 84 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई थी जो 18 जून तक बढ़कर 204 प्रतिशत पर पहुंच गई। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 60 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। पंजाब, आसाम, मेघालय एवं सिक्किम में भी सामान्य से ज्यादा बारिश हुई।