iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) के पास वर्तमान समय में 37-38 लाख टन चना, 4-5 लाख टन मूंग, 2.00-2.50 लाख टन अरहर (तुवर) एवं करीब 1.50 लाख टन मसूर का स्टॉक मौजूद है।
एजेंसी ने अपने चना स्टॉक के 30 प्रतिशत भाग की प्रोसेसिंग करवाने और उससे निर्मित दाल को रियायती मूल्य पर राज्यों को उपलब्ध करवाने का प्लान बनाया है।
मालूम हो कि चना दाल का भाव अभी औसत स्तर से नीचे है मगर फिर भी अधिकांश राज्य इसका उठाव करने के लिए सहमत नहीं हैं।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के मुताबिक 16 जून को अखिल भारतीय स्तर पर चना दाल का औसत थोक बाजार भाव 6614.86 रुपए प्रति क्विंटल तथा खुदरा मूल्य 74.66 रुपए प्रति किलो चल रहा था।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार तुवर-उड़द दाल की तुलना में चना दाल पहले से ही काफी नीचे मूल्य पर उपलब्ध है। यदि घरेलू बाजार में इसकी बिक्री का प्रयास किया गया तो इसका औसत बिक्री मूल्य और भी नीचे रखना पड़ेगा जिससे नैफेड के स्टॉक में मौजूद माल की कीमत भी नरम पड़ जाएगी।
इसके साथ-साथ आगे दाम बढ़ने की उम्मीद से जिन उत्पादकों ने चना का स्टॉक रोक रखा है उसे आकर्षक वापसी हासिल नहीं होगी। जिन राज्यों में पीडीएस अथवा मीड डे मील के तहत तुवर दाल का वितरण होता है वहां चना दाल के प्रति कोई उत्साह या आकर्षण नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खुदरा बाजार में तुवर दाल का औसत मूल्य 126.40 रुपए प्रति किलो तथा उड़द दाल का 110.55 रुपए प्रति किलो चल रहा है जो चना दाल के भाव 72.20 रुपए प्रति किलो से काफी ऊंचा है।
आई ग्रेन इंडिया का मानना है कि यदि चना दाल के बजाए तुवर दाल एवं उड़द दाल का वितरण रियायती मूल्य पर किया जाए तो वह ज्यादा प्रभावी, उपयोगी तथा बाजार हितैषी साबित हो सकता है।
सरकारी एजेंसी द्वारा पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से चना खरीदा गया, उसका परिवहन, भंडारण एवं रख रखाव का खर्च उठाया गया और अब चना की प्रोसेसिंग का खर्च वहन किया जाएगा। इससे लागत व्यय में काफी इजाफा हो जाएगा। ध्यान देने की बात है कि मसूर तथा मटर का भाव सामान्य स्तर से नीचे तथा मूंग का दाम इसके आसपास है।