iGrain India - हैदराबाद । यद्यपि बाजार में करीब 15 ब्रांडों का कपास बीज उपलब्धता रहता है मगर उसमें से 4-5 शीर्ष ब्रांडों के बीज की मांग सबसे अधिक रहती है क्योंकि उसमे अंकुरण का स्तर काफी ऊंचा रहता है।
अब खरीफ फसलों की बिजाई का अभियान आरंभ हो चुका है और इन शीर्ष ब्रांडों के पास बीज की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है लेकिन मार्केट में इसका अभाव महसूस होने लगा है जिससे कीमतों में बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे किसानों की कठिनाई बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि कपास बीज (कॉटन सीड) के 450 ग्राम वाले पैकेट का उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 850 रुपए निर्धारित है लेकिन वास्तविक बाजार भाव इससे 50-100 प्रतिशत तक ऊंचा हो गया है।
पिछले साल बीज के उत्पादन में तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जोरदार वर्षा के कारण भारी गिरावट आ गई थी। 4-5 शीर्ष ब्रांड वाले कपास बीज की मांग इसलिए भी ज्यादा रहती है कि इसके पौधों में शुष्क मौसम के प्रकोप को सहने की अधिक क्षमता होती है।
नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी बीज उत्पादन में आई कमी से सहमत है। उनका कहना है कि पिछले साल बीज उत्पादन के चरण में भारी बेमौसमी वर्षा हुई थी जिससे बीज का उत्पादन प्रभावित हो गया।
चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर कपास बीज की कुल मांग 4.50 करोड़ पैकेट रहने का अनुमान लगाया गया है जिसमें से करीब 45-50 प्रतिशत की भागीदारी उत्तरी राज्यों एवं महाराष्ट्र की है।
इसके अलावा तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में करीब 60-70 लाख पैकेट की मांग रहने की संभावना है जबकि शेष मांग अन्य राज्यों में रहेगी।
ध्यान देने की बात है कि देश के 10 राज्यों में सामान्य (परम्परागत) किस्मों के साथ बीटी कॉटन की व्यावसायिक खेती की अनुमति दी गई है जिसमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु शामिल है।
वैसे कुल मिलाकर घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए कपास बीज का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है मगर शीर्ष ब्रांड वाले बीज का स्टॉक कम है। इसका बीज खरीदने के लिए किसान एमआरपी से ऊंचा मूल्य देने के लिए तैयार हैं।
कपास की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है। एक समीक्षक ने 2023-24 सीजन के दौरान कपास का भाव 7000/7500 रुपए प्रति क्विंटल रहने का अनुमान लगाया है।