iGrain India - मेलबोर्न । ऑस्ट्रेलियाई मौसम एजेंसी ने दावा किया है कि अलनीनों के विकास के लिए जो चार शर्ते आवश्यक होती हैं उसमें से तीन शर्तें पूरी हो गई हैं इसलिए इस मौसम चक्र के आने की संभावना काफी बढ़ गई है।
अल नीनो सॉदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) के नवीनतम परिदृश्य के बारे में एजेंसी ने कहा है कि पिछले 3 से 6 महीनों के दौरान प्रशांत महासागर के NINO3 या NINO 3.4 क्षेत्रों में स्पष्ट गर्मी का रुख देखा गया।
इससे प्रतीत होता है कि यह गर्म मौसम का चक्र जल्दी ही अनेक देशों को परेशान कर सकता है।
इस बीच बाजार विश्लेषकों ने कहा है कि अल नीनो बाजार का मुख्य अल्पकालीन जोखिम है। यह भारतीय मानसून को प्रभावित कर सकता है जिससे देश में बारिश कम होगी और इसके फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
इससे समूचे देश की आर्थिक गतिविधयां एवं अर्थ व्यवस्था की प्रगति प्रभावित हो सकती है। भारत का इक्विटी संकेतक- सेंसेक्स पिछले सप्ताह बढ़कर रिकॉर्ड स्तर के आसपास पहुंच गया था मगर 20 जून को मध्याहन के समय तक कम से कम 150 अंक नीचे गिर गया।
उधर अमरीकी जलवायु पूर्वानुमान केन्द्र ने कहा है कि अल नीनो के लिए अनुकूल स्थिति मध्य जून में ही विकसित हो गई थी। मालूम हो कि प्रशांत महासागर की समुद्री सतह का तापमान असाधारण रूप से गर्म होने के फलस्वरूप अल नीनो का जन्म होता है जिससे एशिया और खासकर भारत में बारिश कम होती है तथा सूखे का माहौल उत्पन्न हो जाता है। इससे सरकार की चुनौतियां काफी बढ़ जाती हैं।
जलवायु पूर्वानुमान केन्द्र के अनुसार चालू सप्ताहांत के दौरान मध्य-पूर्वी विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र में पूर्ववर्ती एनसो- उदासीन स्थिति गर्म अल नीनो जैसी हालत में बदल गई थी।
पिछले महीने ही ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य औसत से ज्यादा गर्म हो गया था जिससे स्पष्ट संकेत मिलने लगा था कि अल नीनो का संकट काफी नजदीक है।
हालांकि आधिकारिक तौर पर अल नीनो के आगमन की घोषणा अभी तक नहीं हुई है लेकिन भारत पर इसका असर दिखाई पड़ने लगा है। मानसून की चाल सुस्त पड़ गई है जिससे खरीफ फसलों की बिजाई में कठिनाई हो रही है।