iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर धान का कुल उत्पादन क्षेत्र चालू खरीफ सीजन में पिछले सप्ताह तक घटकर 5.32 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो गत वर्ष की समान अवधि के क्षेत्रफल 6.23 लाख हेक्टेयर से 14.66 प्रतिशत कम था लेकिन कृषि आयुक्त का कहना है कि जिन इलाकों में मानसून की बारिश हुई है वहां किसान धान की खेती में काफी अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
दरअसल इस बार मानसून के आगे बढ़ने की गति ही काफी धीमी है इसलिए किसानों को धान सहित अन्य खरीफ फसलों की जोरदार खेती करने का अवसर नहीं मिल रहा है। अब यह गति धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है जिससे बिजाई की गति भी तेज हो सकती है।
कृषि आयुक्त के मुताबिक धान की रोपाई अभी शुरू ही हुई है और उन इलाकों में रोपाई अच्छी हो रही है जहां मानसून की बारिश पहुंची है। देश के कुछ अन्य क्षेत्रों में किसानों ने धान की नर्सरी तैयार करना आरंभ कर दिया है। वहां धान के पौधे बनते हैं और इन नवजात पौधों को उखाड़कर उसे अन्य खेतों में व्यवस्थित ढंग से रोपा जाता है।
कृषि आयुक्त के अनुसार जहां तक दलहनों का सवाल है तो इसकी अधिकांश बिजाई वर्षा पर आश्रित क्षेत्रों में होती है इसलिए मानसून की प्रगति के साथ इसके उत्पादन क्षेत्र में भी सुधार आता जाएगा।
उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में दलहनों का कुल उत्पादन क्षेत्र 1.80 लाख हेक्टयेर तक ही पहुंच सका जो पिछले साल की इसी अवधि के बिजाई क्षेत्र 4.22 लाख हेक्टेयर से आधे से भी बहुत कम है।
इसी तरह तिलहन फसलों का क्षेत्रफल भी गत वर्ष से कुछ घटकर 4.11 लाख हेक्टेयर रह गया लेकिन मोटे अनाजों का रकबा बढ़कर 16 जून तक 12.43 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया इस अवधि तक मानसून की बारिश 47 प्रतिशत तक घट गई।
उल्लेखनीय है कि धान खरीफ सीजन का सबसे प्रमुख खाद्यान्न है। देश में करीब 80 प्रतिशत चावल का उत्पादन खरीफ सीजन में ही होता है। इस बार अल नीनो मौसम चक्र के संभावित प्रकोप से मानसून की वर्षा प्रभावित होने की आशंका है जिससे धान-चावल के उत्पादन में कुछ कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है। मानसून की गतिशीलता बढ़ने की सख्त आवश्यकता है।