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पूर्वी अफ्रीकी देशों से भारत में तुवर की सीमित आपूर्ति होने की संभावना

प्रकाशित 26/06/2023, 12:39 pm
पूर्वी अफ्रीकी देशों से भारत में तुवर की सीमित आपूर्ति होने की संभावना
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iGrain India - नई दिल्ली । भारत में पूर्वी अफ्रीकी देशों एवं म्यांमार से तुवर का सर्वाधिक आयात होता है। पूर्वी अफ्रीका के मोजाम्बिक, तंजानिया, मलावी, सूडान एवं युगांडा जैसे देश भारत को भारी मात्रा में तुवर की आपूर्ति करते हैं मगर इस बार वहां फसल की हालत बहुत अच्छी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि भारत में निर्यात के सहारे ही इन देशों में पिछले कुछ वर्षों से तुवर का उत्पादन बढ़ रहा है मगर इस बार वहां मौसम पूरी तरह अनुकूल नहीं है और फसल को कुछ प्राकृतिक आपदाओं से भी नुकसान होने की खबर मिल रही है।

तुवर इन देशों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कृषि फसलों में से एक है। 

उल्लेखनीय है कि मोजाम्बिक, मलावी एवं तंजानिया जैसे देश भारत को उस समय तुवर की आपूर्ति करते हैं जब देश में इसका लीन या ऑफ सीजन रहता है।

वहां तुवर की अगैती फसल जुलाई में ही तैयार होने लगती है जबकि इसकी सर्वाधिक कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक सितम्बर-अक्टूबर में देखी जाती है। उस समय भारत में इसकी उपलब्धता काफी कम रहती है।

अफ्रीकी देशों से भारी मात्रा में आयातित माल पहुंचने से अगस्त-अक्टूबर के बीच भारत में तुवर की उपलब्धता बेहतर हो जाती है। ध्यान देने की बात है कि इसी अवधि के दौरान भारत में त्यौहारी सीजन भी रहता है।

भारत में पूर्वी अफ्रीका से लगभग 5 लाख टन तुवर का औसत वार्षिक आयात होता है। इससे दोनों पक्षों को फायदा मिलता है।

एक तरफ भारतीय उपभोक्ताओं को तुवर की अच्छी उपलब्धता सुनिश्चित होती है तो दूसरी ओर निर्यातक देशों के किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो जाती है। भारत की खरीद से पूर्वी अफ्रीका के देशों को प्रति वर्ष लगभग 25 करोड़ डॉलर के विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। 

पूर्वी अफ्रीका में तुवर की अर्थव्यवस्था मुख्यत: भारत की नीतियों एवं मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है। जहां तक भारतीय नीति की बात है तो इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है मगर पूर्वी अफ्रीका में मौसम की हालत में जरूर परिवर्तन देखा जा रहा है।

वहां फसल की औसत उपज दर में कमी आने की आशंका है। औसत उत्पादकता दर तंजानिया में 25-30 प्रतिशत तथा  मलावी-मोजाम्बिक में 15-20 प्रतिशत घटने की संभावना है।

इसे देखते हुए 2023-24 सीजन के दौरान इस क्षेत्र से भारत को केवल लगभग 3.50 लाख टन के आसपास तुवर का निर्यात होने के आसार हैं। इधर भारत में तुवर की बिजाई में न केवल देर हो रही है बल्कि इसका क्षेत्रफल भी इस वर्ष से पीछे चल रहा है।

वैसे अब महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रमुख तुवर उत्पादक राज्यों में मानसून के पहुंचने से बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है।

पूर्वी अफ्रीका के देशों में इस वर्ष बारिश की हालत अनिश्चित और अनियमित रही। कही मूसलाधार वर्षा होने एवं बाढ़ आने से खेतों में पानी  जमा होने के कारण फसल क्षतिग्रस्त हो गई तो कहीं बारिश का अभाव बना हुआ है।

कम अवधि में पकने वाली तुवर फसल की कटाई अगले एक माह में वहां शुरू हो सकती है जबकि मुख्य फसल अगस्त-सितम्बर में कटेगी। भारतीय आयातक पहले ही इसके अग्रिम सौदे कर चुके हैं और निर्यातक भी सही समय पर डिलीवरी देने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।

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