iGrain India - बंगलोर । तीन केन्द्रीय एजेंसियां- राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) तथा केन्द्रीय भंडार कर्नाटक सरकार के फ्लैगशिप (अग्रणी) कार्यक्रम- अन्न भाग्य गारंटी योजना के लिए दूसरे राज्यों से चावल खरीदने पर सहमत हो गई हैं।
इन एजेंसियों द्वारा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं पंजाब सहित अन्य राज्यों से लगभग 3400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से चावल खरीदे जाने की संभावना है।
मालूम हो कि अन्न भाग्य योजना के तहत बीपी एल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को प्रति माह 10 किलो चावल मुफ्त में दिया जाना है। इसके लिए प्रत्येक महीने 2.28 लाख टन चावल की जरूरत पड़ेगी। कर्नाटक में इसके लिए चावल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है।
24 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता एवं खाद्य मंत्री की उपस्थिति में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इसमें केन्द्रीय एजेंसियों के अधिकारियों ने व्यापारियों एवं राइस मिलर्स से 34 रुपए प्रति किलो की दर से चावल खरीदने का संकल्प व्यक्त किया।
मालूम हो कि भारतीय खाद्य निगम (एफसी निगम) द्वारा भी चावल का सही मूल्य निश्चित किया गया था मगर इस बार उसने राज्यों को चावल बेचना स्थगित कर दिया है।
लेकिन राज्य सरकार को न केवल इन एजेंसियों को 1 प्रतिशत की दर से कमीशन देना होगा बल्कि चावल के परिवहन खर्च का भार भी उठाना पड़ेगा।
हालांकि कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कुछ दिन पूर्व नई दिल्ली में केन्द्रीय खाद्य उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री से चावल की आपूर्ति के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए मुलाकात की थी।
खाद्य मंत्री ने केन्द्रीय मंत्री पर चावल की बिक्री राज्यों को स्थगित रखने के निर्णय को वापस लेने के लिए दबाव भी बनाने का प्रयास किया लेकिन केन्द्र ने कारण बताते हुए कहा कि खाद्य निगम को इस बार चावल का एक विशाल स्टॉक बनाना तथा बरकरार रखना है इसलिए राज्यों को इसकी आपूर्ति नहीं की जा सकती है।
कांग्रेस का कहना है कि केन्द्र सरकार कर्नाटक को टारगेट कर रही है और खाद्य मंत्रालय ने राज्यों को चावल की बिक्री स्थगित रखने का जो निर्णय लिया है वह सिर्फ कर्नाटक को ध्यान में रखकर लिया गया है।
मालूम हो कि खाद्य निगम जिस चावल की बिक्री राज्यों को 3400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से करता रहा है उसके बड़े भाग की खरीद कर्नाटक द्वारा की जाती रही है।
1 जनवरी से 24 मई तक कर्नाटक में जब भाजपा की सरकार थी तब उसने खाद्य निगम के चावल की कुल बिक्री के 95 प्रतिशत से भी अधिक भाग की खरीद की थी और जब कांग्रेस की सरकार आई तब इसकी बिक्री रोक दी गई।