iGrain India - नई दिल्ली । वर्ष 1961 या 62 साल के बाद पहली बार दक्षिण-पश्चिम मानसून एक ही दिन दिल्ली और मुम्बई में पहुंच गया। इसके साथ-साथ देश के अनेक राज्यों तक इसकी पहुंच हो गई है जबकि अगले पांच छह दिनों में यह समूचे भारत को कवर कर लेगा।
मानसून अभी पूरी तरह सक्रिय है और मौसम विभाग ने चालू माह के अंत तक के लिए कई राज्यों में वर्षा का ऑरेंज या यैलो अलर्ट जारी किया है जिसका मतलब यह है कि वहां भारी से लेकर अत्यन्त भारी बारिश हो सकती है।
पिछले दो-तीन दिनों से देश के विभिन्न भागों में अच्छी वर्षा हो रही है और मौसम विभाग ने चालू सप्ताह के दौरान इसका सिलसिला जारी रहने की उम्मीद जताई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने एक विशेषज्ञ के अनुसार चूंकि मानसून अब सक्रिय हो गया है इसलिए जुलाई के प्रथम सप्ताह तक इसके सम्पूर्ण देश में पहुंच जाने की संभावना बढ़ गई है।
यह सामान्य समय है और इस तरह मानसून के केरल में एक सप्ताह देर से आने का जो प्रतिकूल प्रभाव हो सकता था वह धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। आगे यदि मानसून सामान्य चाल से आगे बढ़ता है तो वर्षा का संकट काफी हद तक खत्म हो सकता है।
मानसून की सक्रियता बढ़ने के साथ ही खरीफ फसलों की बिजाई भी जोर पकड़ने की संभावना है। यह वर्षा खासकर धान की रोपाई के लिए काफी मददगार है। 26 जून को मानसून एक साथ ही दिल्ली और मुम्बई- दोनों जगह पहुंच गया।
मुम्बई पहुंचने का इसका सामान्य समय 11 जून तथा दिल्ली पहुंचने का सामान्य समय 27 जून माना जाता है। इससे पूर्व वर्ष 1961 में मानसून इन दोनों जगहों पर एक ही दिन पहुंचा था जबकि उस वर्ष अल नीनो का कोई प्रकोप नहीं था।
25 जून को मुम्बई में 18 से०मी० तथा दिल्ली में 5 से०मी० बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के महानिदेशक का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का उत्तरी सिरा सम्पूर्ण देश में पहुंचने से कुछ ही छोटा है।
वर्षा पर आश्रति देश के पश्चिमी, मध्यवर्ती एवं दक्षिणी राज्यों के कुछ भागों में मानसून की बढ़ती सक्रियता से धान, दलहन और तिलहन फसलों की बिजाई की गति तेज होने की उम्मीद है जिसका क्षेत्रफल अभी तक गत वर्ष से पीछे चल रहा था उड़ीसा, बिहार, झारखंड, बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों में भी मानसून की बारिश हो रही है।
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब जैसे प्रांतों में भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है।