iGrain India - नई दिल्ली । खाद्य व्यवसाय में संलग्न छोटी-छोटी फर्मों को राहत देने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) अपने उस आदेश में ढील या रियायत देने पर सहमत हो गया है जिसमें खाद्य पदार्थ के उत्पादन एवं व्यवसाय में शामिल सभी फर्मों के लिए अनिवार्य परीक्षण (मैंडेटरी टेस्टिंग) का प्रावधान किया गया था।
इन फर्मों ने प्राधिकरण को अनिवार्य परीक्षण से छूट देने के लिए कहा था। इन फर्मों की चिन्ता एवं कठिनाई पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए प्राधिकरण ने कहा है कि उसने सम्बद्ध उत्पाद की श्रेणी में परीक्षण के लिए कम से कम पैरामीटर्स प्रदान करने के विकल्प का आंकलन किया है।
बड़ी संख्या में इसके लिए आवेदन प्राप्त हुए थे जिसमें खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) सेक्टर से अधिक आग्रह मिले थे जिसमें परीक्षण के खर्च सहित कई अन्य बातों पर चिंता व्यक्त की गई थी।
इसे ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण खाद्य सुरक्षा पर कोई समझौता किए बगैर उन पैरामीटर्स को न्यूनतम स्तर पर लगने के विकल्पों की तलाश कर रहा है जिसके आधार पर परीक्षण होना है।
एलायंस फोर सस्टैनेबल एंड होलीस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) को प्रेषित एक जवाब में एफएसएसएआई के तकनीकी अधिकारी (विनिमयन अनुपालन) ने कहा है कि अनिवार्य परीक्षण आदेश के नियमों में कटौती होने पर छोटे-छोटे खाद्य व्यवसायियों पर भार घटाने में सहायता मिलेगी और खासकर परीक्षण खर्च का भार घट जाएगा।
हाल ही में प्राधिकरण ने सभी खाद्य पदार्थ निर्मातों एवं कारोबारियों (फ़ूड बिजनेस ऑपरेटर्स या एफबीओ) के लिए एक आदेश जारी किया था जिसमें ऑपरेटर्स को अपने उत्पादों का परीक्षण करवाने तथा प्रत्येक छह माह पर इसके परिणाम को पोर्टल पर अपलोड करवाने का निर्देश दिया गया था।
'आशा' ने चालू माह के आरंभ में प्राधिकरण के समक्ष इसका जबरदस्त प्रतिरोध किया था। उसने आरोप लगाया था कि इस नियम से उन छोटे -छोटे एफबीओ पर भारी वित्तीय भार पड़ेगा जिसकी आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है और जो इस आदेश का पालन करने में सक्षम नहीं है।
खाद्य पदार्थों का परीक्षण करवाना सरकार का दायित्व है और इसका भार कारोबारियों या निर्माताओं पर नहीं डाला जाना चाहिए।