iGrain India - नई दिल्ली। खाद्य महंगाई के मोर्चे पर सरकार को सभी सम्बद्ध पक्षों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके लिए नियमित रूप से नीतिगत निर्णय तथा उपायों का सहारा लिया जा रहा है।
सरकारी प्रयासों से खाद्य तेल की कीमतों में जोरदार गिरावट आ गई है जिससे आम लोगों को राहत मिल रही है लेकिन दाल-दलहनों के ऊंचे भाव से उपभोक्ता काफी परेशान हैं।
पिछले कुछ महीनों से खासकर तुवर दाल और उड़द दाल का दाम काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा है। इसके पीछे-पीछे अन्य दालों की कीमतों में भी सुधार आने की संभावना है क्योंकि इसकी मांग एवं खपत बढ़ सकती है।
तुवर दाल का खुदरा बाजार भाव दो माह पूर्व क्वालिटी के अनुरूप 95 से 110 रुपए प्रति किलो चल रहा था जो अब उछलकर 130-140 रुपए प्रति किलो हो गया है। कहीं-कहीं तो यह 150 रुपए प्रति किलो पर भी पहुंच गया है।
मसूर दाल का दाम भी इस अवधि में 70 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 100 रुपए प्रति किलो और उड़द दाल का भाव 130 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है। प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के बावजूद दालें अब गरीब लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं।
प्रत्येक माह ऑनलाइन आर्डर देने वाले ग्राहक भी कीमतों में होने वाली वृद्धि से हैरान हैं। ऑनलाइन में तुवर दाल 137 से 160 रुपए प्रति किलो पर उपलब्ध है जबकि ऑर्गेनिक तुवर दाल का दाम तो उछलकर 200-250 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।
दाल-दलहनों और खासकर तुवर दाल की कीमतों में होने वाला जबरदस्त इजाफा पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम उपभोक्ताओं के लिए वज्राघात साबित हो रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार तुवर-उड़द दाल में होने वाली यह वृद्धि असाधारण हैं और कमजोर घरेलू उत्पादन इसका एक मुख्य कारण है। मांग एवं आपूर्ति एक बीच लम्बा फासला हो गया है।
विदेशों से अपेक्षित मात्रा में तुवर का आयात नहीं हो रहा है और अफ्रीकी देशों में इसका निर्यात योग्य स्टॉक काफी घट गया है। वहां अगस्त से नए माल की आवक शुरू होगी और तब भारत में तुवर का आयात बढ़ने लगेगा।