iGrain India - नई दिल्ली । विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टीओ) में जारी एक चीनी विवाद को सुलझाने के लिए भारत और ब्राजील के बीच बातचीत चल रही है और वाणिज्य मंत्रालय इसके लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चीनी पर विवाद में अन्य कई देश भी शामिल हैं जिसने डब्ल्यू टीओ में भारत के खिलाफ शिकायत कर रखी है। इन देशों के साथ भी बातचीत हो रही है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया एवं ग्वाटेमाला ने डब्ल्यू टीओ के विवाद निपटानतंत्र में भारत के ख़िलाफ कुछ शिकायत की थी। उस समय यह आरोप लगाया गया था कि भारत में उत्पादकों की चीनी पर दी जा रही सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय इस विवाद को सुलझाने के लिए पूरी तरह सक्रिय है और संबंधित मंत्रालयों / विभागों को हर संभव विकल्पों तक पहुंचने में भरपूर सहयोग दे रहा है।
यह मामला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 14 दिसम्बर 2021 को इसे डब्ल्यू टीओ के एक विवाद सेट्लमेंट पैनल के सुपुर्द किया गया। इस पैनल ने कहा था कि चीनी क्षेत्र के लिए भारत के सहयोगात्मक उपाय वैश्विक व्यापार नियमों से मेल नहीं खाते हैं।
इसके बाद जनवरी 2022 में भारत ने इस पैनल की टिप्पणी के खिलाफ डब्ल्यू टीओ की अपीलीय संस्था में अपील दायर कर दी जो इस तरह के व्यापारिक विवादों के निस्तारण की अंतिम संस्था है।
इसमें मामला विचाराधीन है जबकि इस बीच भारत ने विवाद को सुलझाने के लिए ब्राजील सहित अन्य संबंधित देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
ध्यान देने की बात है कि लैटिन अमरिका में अवस्थित ब्राजील दुनिया में चीनी का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है जबकि चीनी के उत्पादन में भारत दूसरे नम्बर पर है और थाईलैंड चीनी का परम्परागत रूप से दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश है।
वैसे 2021-22 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान भारत चीनी का दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश बन गया था जब यहां से इसका कुल शिपमेंट उछलकर 110 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था।
2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में भारत से चीनी का निर्यात घटकर 60-61 लाख टन के करीब सिमट जाने की संभावना है क्योंकि जून से इसके शिपमेंट पर पाबंदी लग गई है।