iGrain India - मैसूर । हालांकि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल के बाद कर्नाटक में ही पहुंचता है लेकिन इस बार एक तो वहां इसमें ठहराव आ गया और दूसरे, अधिकांश इलाकों में बारिश के लिए स्थिति अनुकूल नही रही।
चालू वर्ष के दौरान कर्नाटक में 22 जून तक सामान्य औसत के मुकाबले 66 प्रतिशत कम वर्षा हुई जबकि उत्तरी आन्तरिक कर्नाटक में यह कमी 68 प्रतिशत दर्ज की गई।
ज्ञात हो कि इस दक्षिणी राज्य में मूंग की अगैती बिजाई होती है और इसका आदर्श समय भी नियत रहता है मगर इस वर्ष बारिश कम होने से वहां इस महत्वपूर्ण दलहन फसल का क्षेत्रफल घटने की प्रबल संभावना दिखाई पड़ रही है।
कर्नाटक के उत्तरी भाग में मूंग की खेती बड़े पैमाने पर होती है जबकि इस वर्ष वहीँ पर वर्षा का सर्वाधिक अभाव रहा। खरीफ सीजन में राजस्थान के बाद कर्नाटक को ही मूंग का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है।
कर्नाटक में मूंग की खेती के लिए 15 मई से 15 जून की अवधि को आदर्श समय माना जाता है। उत्तरी कर्नाटक के गडग, धारवाड़ एवं यद्गीर सहित कुछ अन्य जिलों में इसका उत्पादन ज्यादा होता है।
इस वर्ष 22 जून तक वहां मूंग का कुल रकबा 66 हजार हेक्टेयर पर ही पहुंचा सका जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2.53 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था।
राज्य कृषि विभाग ने चालू खरीफ सीजन के लिए कुल 3.99 लाख हेक्टेयर में मूंग की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था जबकि वास्तविक क्षेत्रफल इसके एक-चौथाई के आसपास ही सिमटने की संभावना है।
हालांकि अब अन्य राज्यों के साथ साथ कर्नाटक में भी मानसूनी वर्षा की रफ्तार बढने के आसार हैं लेकिन किसान मूंग की बिजाई का रिस्क उठाना चाहेंगे- इसमें संदेह है।
जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा मौजूद है अथवा जहां-जहां बारिश हुई है वहां तो मूंग की बिजाई संभव हो गई मगर जिन क्षेत्रों में वर्षा का अभाव रहा वहां किसानों ने जोखिम नहीं उठाया।
कर्नाटक में मूंग का सर्वाधिक उत्पादन गडग जिले में होता है। हैरत की बात है कि इस वर्ष कर्नाटक में मानसून-पूर्व की वर्षा का भी पूरी तरह अभाव रहा।