iGrain India - मुक्तसर । पिछले दिन रामसरा माइनर (उप नहर) में आई दरार से सम्पूर्ण क्षेत्र में बाढ़ आ गई जिससे भागू तथा बहाबवाला गांव के बीच करीब 50 एकड़ में लगी कपास की फसल पानी में डूब गई।
दरअसल अबोहर और इसके आसपास के इलाकों में अत्यन्त मूसलाधार वर्षा होने से नहर में पानी ऊपर तक भर गया। दरार को भरने एवं खेतों से पानी निकालने का काम आरंभ हो गया है।
ध्यान देने की बात है कि पंजाब में कपास की बिजाई समाप्त हो चुकी है और अब धान की रोपाई जोर शोर से हो रही है।
मुक्तसर जिले में तेज हवा के साथ हुई वर्षा से धान उत्पादक किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। इसकी रोपाई का सीजन अभी जारी है जबकि पिछले कुछ दिनों से तापमान वहां 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है।
भारी वर्षा के कारण जिले के दो माइनर्स में दरार पड़ गई जिससे आसपास के क्षेत्रों में पानी फ़ैल गया। किसानों का कहना है कि सही समय पर प्रशासन नहरों की सफाई करवाने में असफल रहा इसलिए उसमें दरार पड़ गई। मुक्तसर के निचले इलाकों में पानी जमा हो गया है।
पंजाब में कपास के साथ-साथ धान की भी अगैती खेती होती है। कपास का क्षेत्रफल इस बार घटकर 1.75 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो नियत लक्ष्य 3 लाख हेक्टेयर तथा गत वर्ष के रकबा 2.48 लाख हेक्टेयर से काफी कम और अब तक का न्यूनतम स्तर है।
कीड़ों-रोगों के प्रकोप एवं प्राकृतिक आपदाओं के बार-बार होने वाले आघात से चिंतित और परेशान किसानों ने इस बार कपास की खेती में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पंजाब में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है और वह केन्द्रीय पूल में चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
वहां हाल के दिनों में अनेक जिलों में अच्छी वर्षा होने से धान की रोपाई के लिए माहौल अनुकूल हो गया है और स्थानीय किसान इसका भरपूर फायदा उठाकर धान के उत्पादन क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं।
सम्पूर्ण पश्चिमोत्तर भारत में अच्छी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे धान की रोपाई में किसानों को काफी सहायता मिलने की उम्मीद है।