iGrain India - करनाल । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय बासमती चावल का निर्यात अप्रैल 2022 के 3.19 लाख टन से उछलकर अप्रैल 2023 में 4.24 लाख टन पर पहुंच गया।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में इसकी मांग काफी मजबूत बनी हुई है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बासमती चावल का औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य भी फ्री ऑन बोर्ड आधार पर ऊंचा चल रहा है।
समीक्षकों का कहना है कि 2022-23 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान घरेलू मंडियों में बासमती धान का भाव काफी ऊंचा एवं तेज रहा जिससे किसानों को शानदार फायदा हुआ और वे चालू खरीफ सीजन के दौरान इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
लम्बे दाने वाले प्रीमियम क्वालिटी के सुगन्धित बासमती चावल की घरेलू एवं निर्यात मांग मजबूत बनी हुई है। अगले खरीफ मार्केटिंग सीजन तक यदि बासमती धान का भाव ऊंचा रहा तो खासकर हरियाणा एवं पंजाब के उत्पादकों एवं व्यापारियों को एक बार फिर मोटी कमाई करने का अवसर मिल सकता है।
निर्यातकों के मुताबिक भारतीय बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य गत वर्ष के 83,068 रुपए प्रति टन से उछलकर इस बार 90,776 रुपए प्रति टन पर पहुंच गया है और इसके बावजूद वैश्विक बाजार में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है।
इधर घरेलू प्रभाग में भी इसका भाव पिछले साल 70 से 100 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहा था जो अब बढ़कर 80 से 120 रुपए प्रति किलो के बीच पहुंच गया है।
एपीडा के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 में भारत से चावल का सकल निर्यात बढ़कर 8204 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया जिसमें बासमती चावल का निर्यात 3855 करोड़ रुपए का रहा।
गत वर्ष अप्रैल में चावल के कुल निर्यात से 6144 करोड़ रुपए की आमदनी प्राप्त हुई थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में समीक्षाधीन अवधि के दौरान बासमती चावल के निर्यात मूल्य में करीब 7000 रुपए प्रति टन की अच्छी बढ़ोत्तरी होने से निर्यातकों को बेहतर आमदनी प्राप्त करने में सहायता मिल रही है। इतना ही नहीं बल्कि आगामी समय में इसका भाव और भी तेज होने की आशा है।
गैर बासमती या परमल चावल के निर्यात में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। एक अग्रणी विश्लेषक के मुताबिक अच्छी बात यह है कि इस वर्ष बासमती चावल के निर्यातक-व्यापारियों तथा बासमती धान के उत्पादकों के बीच काफी अच्छा ताल मेल बना हुआ है और किसान अपना स्टॉक लाने में हिचक नहीं रहे हैं। सरकार को हरियाणा की मंडियों में बासमती धान की खरीद पर लगी लेवी को वापस ले लेना चाहिए।