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कमाई बढ़ने के साथ ही कपास की खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बरकरार

प्रकाशित 28/06/2023, 02:33 pm
कमाई बढ़ने के साथ ही कपास की खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बरकरार
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iGrain India - नागपुर । बिजाई क्षेत्र की दृष्टि से महाराष्ट्र देश में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है जबकि कुल उत्पादन के दृष्टकोण से गुजरात के बाद दूसरे नम्बर पर रहता है।

भारत में उत्पादित व्यावसायिक या औद्योगिक फसलों में कपास का महत्वपूर्ण स्थान है। कपास के सम्पूर्ण वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान 25 प्रतिशत के करीब रहता है।

महाराष्ट्र में हाल के वर्षों में इस अत्यन्त महत्वपूर्ण नकदी फसल के क्षेत्रफल में भारी इजाफा हुआ है और औसत उपज दर के साथ इसकी कुल पैदावार में भी शानदार बढ़ोत्तरी हुई  है। 

अकोला में किसान कपास की उपज दर बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है। इससे कुछ किसानों को उत्पादकता दर में 40 प्रतिशत से भी अधिक का इजाफा करने में सफलता मिल रही है।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर पूरी तरह अमल करके तथा उन्नत क्वालिटी के बीज का इस्तेमाल करके कपास की उपज दर बढ़ाई जा सकती है। इससे रूई के गोले का आकार बड़ा होता है और उसकी तुड़ाई करने में कठिनाई नहीं होती है।

महाराष्ट्र में खासकर विदर्भ संभाग में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है। पहले वहां फसल पर पिंक बॉलवर्म कीट का घातक प्रकोप होने से किसानों को भारी नुकसान हो जाता था मगर अब इस कीट पर काफी हद तक नियंत्रण लग गया है।

महाराष्ट्र में कपास का क्षेत्रफल तो सबसे ज्यादा रहता है लेकिन औसत उपज दर कुछ नीचे रहने से इसका उत्पादन गुजरात से थोड़ा पीछे रह जाता है। उधर दक्षिण भारत का तेलंगाना राज्य कपास के उत्पादन में तीसरे नम्बर पर पहुंच गया है।

महाराष्ट्र में विवादास्पद एचटीबीटी कॉटन की खेती भी बड़े पैमाने पर होने लगी है जबकि केन्द्र द्वारा अभी तक इसके व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति नहीं दी गई है।

देश के 10 राज्यों में बीटी कॉटन की खेती करने की स्वीकृति प्रदान की गई है जिसमें गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु शामिल है।

इसके अलावा उड़ीसा सहित कुछ अन्य राज्यों में केवल परम्परागत किस्मों की कपास का उत्पादन होता है। हाल के महीनों में कपास के घरेलू बाजार भाव में गिरावट आई है लेकिन फिर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है।

चालू खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर कपास का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से काफी पीछे चल रहा था। अब गुजरात तथा महाराष्ट्र सहित देश के अन्य प्रमुख रूई उत्पादक प्रदेशों में अच्छी बारिश होने लगी है जिससे कपास की बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है।

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