iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । दक्षिण- पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के साथ ही बारिश में कमी का अंतर घटने लगा है। 27 जून तक की स्थिति के अनुसार सामान्य औसत के मुकाबले राष्ट्रीय स्तर पर वर्षा की कमी 19 प्रतिशत रह गई जो 26 जून के 23 प्रतिशत से 4 प्रतिशत बिंदु कम है।
मानसून का उत्तरी सिरा (छोर) अब गुजरात की सीमा से आगे निकलकर राजस्थान के कई भागों में पहुंच गया है। वर्तमान समय में यह सिरा जोधपुर, सीकर, नारनौल एवं फिरोजपुर से होकर गुजर रहा है।
26 जून को छत्तीसगढ़ में अत्यन्त भारी वर्षा हुई थी जबकि कोंकण, गोवा, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, झारखंड, तटीय कर्नाटक एवं गुजरात में बहुत भारी बारिश हुई।
इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, आसाम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, सौराष्ट्र, कच्छ एवं मध्य महाराष्ट्र में दूर-दूर तक भारी बारिश हुई।
इसके फलस्वरूप वर्षा के अभावग्रस्त क्षेत्रों का दायरा काफी सिकुड़ गया है। केरल, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा एवं बिहार में ही वर्षा की कमी अब 60 प्रतिशत से अधिक देखी जा रही है जबकि 16 ऐसे मौसम उपखंड हैं जहां सामान्य औसत की तुलना में 20 से 49 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है।
दूसरी ओर पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर भारत के अधिकांश इलाकों में बारिश सामान्य, अधिक या बहुत अधिक हुई है।
27 जून को वर्षा संवाहक कम दाब का क्षेत्र उत्तरी छत्तीसगढ़ के ऊपर मौजूद था और मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के दौरान इसके पश्चिमी, पश्चिमोत्तर दिशा में आगे बढ़कर पश्चिमोत्तर मध्य प्रदेश में पहुंचने की संभावना व्यक्त की है।
एक पूर्वी-पश्चिमी ट्रफ उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान से उत्तरी-पूर्वी बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ रहा है जबकि तटीय ट्रफ पूर्ण लम्बाई के साथ दक्षिणी गुजरात से केरल तक फैला हुआ है जिससे सक्रिय मानसून का संकेत मिलता है।
कम दाब का क्षेत्र अगले पांच दिनों तक देश के मध्यवर्ती एवं उत्तरी पश्चिमी राज्यों में भ्रमण करता रहेगा और फिर 3 जुलाई को दिल्ली तथा आसपास के क्षेत्रों में पहुंच जाएगा। इसके फलस्वरूप वहां भारी वर्षा होने की संभावना है।
उसके बाद यह हिमालय की तराई की ओर बढ़ते हुए कमजोर पड़ जाएगा। इस अवधि में पश्चिमी तट पर भी भारी बारिश होने की उम्मीद है।