iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार तुवर एवं उड़द की कीमतों को घटाकर उचित स्तर पर लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
2 जून को इस पर स्टॉक लिमिट (भंडारण सीमा) सख्ती से लागू की गई और फिर बड़ी-बड़ी कंपनियों को यथाशीघ्र अपना स्टॉक घरेलू बाजार में उतारने का निर्देश दिया गया।
सरकार को मालूम है कि इन दोनों दलहनों का घरेलू उत्पादन कम हुआ है और अफ्रीकी देशों से इसका आयात शुरू होने में डेढ़- दो माह की देरी है। इसे देखते हुए उसने अपने स्टॉक से तुवर का कुछ भाग खुले बाजार में उतारने का फैसला किया है।
सरकारी एजेंसी- नैफेड के पास करीब 2.50 लाख टन तुवर का स्टॉक बताया जा रहा है। तुवर की बिक्री व्यवस्थित ढंग से एवं लक्ष्यांकित रूप में ई-नीलामी प्रक्रिया के अंतर्गत की जाएगी ताकि इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को हासिल हो सके।
केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरह के उपाय कर रही है। तुवर की बिक्री का निर्णय भी उसका ही एक भाग है। खाद्य तेलों में तेजी पर तो काफी हद तक अंकुश लग गया है लेकिन तुवर-उड़द का भाव अब भी काफी ऊंचे स्तर पर विराजमान है।
वैसे स्टॉक सीमा लागू होने के बाद से इसकी कीमतों में कुछ नरमी आई है। समझा जाता है कि सरकारी तुवर के मार्केट में उतारे जाने के बाद इसके भाव पर दबाव कुछ बढ़ सकता है।
चालू वर्ष के आरंभ से ही तुवर-उड़द बाजार भाव तेज चल रहा है। अब इसकी तेजी पर काफी हद तक ब्रेक लग गया है।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने दो सरकारी एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ को अपने स्टॉक से खुले बाजार में तुवर की बिक्री शुरू करने के लिए कहा है।
घरेलू प्रभाग में तुवर दाल का मॉडल मूल्य (जिस पर सर्वाधिक कारोबार होता है) बढ़कर 27 जून को 120 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया जबकि अलग-अलग बाजारों में इसका इसका दाम इससे काफी ऊंचा चल रहा है।
उदाहरण स्वरूप 27 जून को तुवर दाल का खुदरा मूल्य मुम्बई में 147 रुपए प्रति किलो, दिल्ली में 148 रुपए प्रति किलो एवं बंगलोर में 156 रुपए प्रति किलो चल रहा था। मालूम हो कि कर्नाटक और महाराष्ट्र देश में तुवर के दो शीर्ष उत्पादक राज्य हैं।
तीन माह पूर्व इन महानगरों में तुवर दाल का खुदरा भाव 117-136 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहा था। अगस्त में मलावी एवं मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देशों से भारत में तुवर का आयातित माल पहुंचना शुरू हो सकता है।