iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा पिछले 11 वर्षों के दौरान गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 105 रुपए प्रति क्विंटल का भारी इजाफा किया गया।
इसके तहत 2013-14 सीजन के लिए गन्ना का एफआरपी 210 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ था जिसे 2014-15 में 10 रुपए बढ़कर 220 रुपए प्रति क्विंटल, 2015-16 में भी 10 रुपए बढ़ाकर 230 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।
2016-17 के दौरान इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई और इसे 230 रुपए प्रति क्विंटल पर ही स्थिर रखा गया लेकिन 2017-18 के सीजन में इसे 25 रुपए बढ़ाकर 255 रुपए प्रति क्विंटल और 2018-19 में 20 रुपए बढ़ाकर 275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया।
2019-20 के सीजन में गन्ना के एफआरपी को 275 रुपए प्रति क्विंटल पर ही बरकरार रखा गया। 2020-21 के सीजन में इसे 10 रुपए बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल, 2021-22 में 5 रुपए बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल, 2022-23 में 15 रुपए बढ़ाकर 305 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया जबकि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 रुपए बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान देश भर की चीनी मिलों द्वारा किसानों से 1,11,366 करोड़ रुपए मूल्य के लगभग 3353 लाख टन गन्ना खरीदा गया और इसकी लगभग सम्पूर्ण राशि का भुगतान भी कर दिया गया।
गन्ना का यह उचित एवं लाभकारी मूल्य अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है जिससे किसानों को काफी फायदा होगा। केन्द्र सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार का दावा है कि एफआरपी में हुई 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी से देश के 5 करोड़ गन्ना उत्पादकों एवं उनके आश्रितों को लाभ होगा। इसके साथ-साथ चीनी मिलों एवं अन्य सम्बद्ध गतिविधियों में कार्यरत करीब 5 लाख श्रमिक भी इससे लाभान्वित होंगे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 10.25 प्रतिशत चीनी की औसत रिकवरी दर वाले गन्ना का एफआरपी 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि इससे अपर या नीचे की रिकवरी दर के लिए प्रत्येक 0.1 प्रतिशत पर एफआरपी में 3.07 रुपए प्रति क्विंटल का योग या घटाव हो जाएगा।
2023-24 सीजन के लिए गन्ना का उत्पादन खर्च 157 रुपए प्रति क्विंटल आंका गया है जबकि 315 रुपए प्रति क्विंटल के एफआरपी इस लागत खर्च से 100.6 प्रतिशत ऊंचा है।