iGrain India - नई दिल्ली । एशिया एवं अफ्रीका के अनेक देशों में भारतीय गैर बासमती चावल की मांग काफी मजबूत बनी हुई है जिससे इसका निर्यात प्रदर्शन बेहतर चल रहा है।
हालांकि सितम्बर 2022 से ही सफेद (कच्चे) एवं स्टीम चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है जिससे इसके ऑफर मूल्य में इजाफा हुआ है मगर इसके बावजूद शानदार निर्यात की प्रक्रिया जारी है क्योंकि थाईलैंड एवं वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी निर्यातक देशों में चावल का भाव इससे भी काफी ऊंचा है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2023 में गैर बासमती या मोटे चावल का निर्यात बढ़कर 14.20 लाख टन पर पहुंच गया जिससे 4349 करोड़ रुपए या 53 करोड़ डॉलर की आमदनी प्राप्त हुई।
इसके मुकाबले अप्रैल 2022 में 13.53 लाख टन सामान्य चावल के शिपमेंट से 3675 करोड़ रुपए या 48.20 करोड़ डॉलर की आय हासिल हुई थी। इस तरह मोटे चावल की निर्यात आय में अप्रैल 2022 के मुकाबले अप्रैल 2023 के दौरान भारतीय रुपए में 18.37 प्रतिशत एवं अमरीकी डॉलर की दृष्टि से 9.92 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
दिलचस्प तथ्य यह है कि समीक्षाधीन माह के दौरान मोटे (परमल) चावल का फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य भी 357 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 373 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया लेकिन इसके बावजूद चावल के निर्यात शिपमेंट पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा।
एपीडा में सूचीबद्ध उत्पादों की अप्रैल 2023 में सकल निर्यात आमदनी में गैर बासमती चावल की भागीदारी 23.63 प्रतिशत दर्ज की गई। जो किसी भी अन्य उत्पाद की निर्यात आय से अधिक रही। यहां तक कि बासमती चावल की निर्यात आय की हिस्सेदारी भी 20.94 प्रतिशत तक ही पहुंच सकी।