iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार विभिन्न उपायों के जरिए तुवर की कीमतों में तेजी को नियंत्रित कर रही है। इसके तहत 2 जून को इस पर भंडारण सीमा लागू की गई और अब केन्द्रीय पूल से घरेलू (खुले) बाजार में इसका कुछ स्टॉक उतारने का निर्णय लिया गया है।
सरकार के पास करीब 2.50 लाख टन तुवर का स्टॉक बताया जा रहा है। इसकी भी ई-नीलामी होगी। हालांकि सरकारी सख्ती के कारण हाल के दिनों में तुवर के दाम में थोड़ी नरमी आई है लेकिन पहले ही इसका भाव उछलकर इतने ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था कि उसे एकाएक घटाकर उचित स्तर पर करना बहुत मुश्किल है।
एक और खास बात यह है कि सरकार ने 2023-24 सीजन के लिए अरहर (तुवर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 सीजन के 6600 रुपए प्रति क्विंटल से 400 रुपए बढ़ाकर 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है जिससे बाजार को समर्थन मिल रहा था।
पहले मानसून की सुस्त चाल से अरहर की बिजाई प्रभावित हुई और अब भारी बारिश से खेतों में पानी भरने के कारण किसानों को इसकी खेती में कठिनाई हो रही है। आगे अल नीनो का खतरा भी मंडरा रहा है।
उधर अफ्रीकी देशों में तुवर का उत्पादन गत वर्ष से कम होने की संभावना है। भारतीय उत्पादक एवं आयातक तुवर का स्टॉक दबाने का प्रयास कर रहे थे। सरकार को इन तमाम बातों की जानकारी है और इसलिए वह इसके अनुरूप रणनीति बना रही है जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आना शुरू हो गया है।
तुवर का स्टॉक बेचने में दाल मिलों को प्राथमिकता दिए जाने की संभावना है ताकि वे इसकी मिलिंग- प्रोसेसिंग करके सस्ते दाम पर तुवर दाल की बिक्री आरंभ कर सके। इससे बाजार भाव पर दबाव बढ़ सकता है।
खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) का उत्पादन 2022-23 सीजन के दौरान काफी घट गया क्योंकि एक तो इसके बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई थी और दूसरे, मानसून सीजन के दौरान तथा उसके बाद भी महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में भारी बेमौसमी वर्षा होने से फसल को काफी नुकसान हो गया था।
केन्द्र सरकार तुवर के दाम को न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास लाने हेतु प्रयासरत है। अफ्रीका से तुवर का आयात अगस्त में आरंभ होने के आसार हैं।