iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य 10 रुपए बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो गन्ना से चीनी (सुक्रोज) की 10.25 प्रतिशत औसत रिकवरी दर पर आधारित है।
इससे चीनी के लागत खर्च में स्वाभाविक रूप से बढ़ोत्तरी हो जाएगी। उद्योग समीक्षकों के अनुसार चीनी का उत्पादन खर्च 3450/3500 रुपए प्रति क्विंटल पर पहले ही पहुंच चुका है।
वैसे चीनी का एक्स फैक्ट्री मूल्य फिलहाल इस उत्पादन लागत के आसपास या इससे कुछ ऊपर चल रहा है इसलिए मिलर्स को ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा है।
सरकार चीनी की कीमतों को मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रखने का प्रयास करेगी क्योंकि आगामी महीनों में कुछ राज्यों में विधान सभा का चुनाव होने वाला है।
घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए चीनी के निर्यात पर रोक लगा दी गई है और मासिक फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा भी ऊंचे स्तर का जारी हो रहा है।
चीनी के घरेलू उत्पादन में इस बार गिरावट आई है और अगस्त से तैयारी सीजन आरंभ होने वाला है जो कमोबेश मध्य नवम्बर तक जारी रहेगा। इस अवधि में चीनी की मांग, खपत एवं कीमत बढ़ने की उम्मीद है लेकिन सरकार की पैनी नजर बाजार पर लगी रहेगी।
नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर अक्टूबर 2023 से आरंभ हो जाएगा मगर गन्ना की जोरदार क्रशिंग नवम्बर में ही शुरू होगी। इस बार मानसून अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है मगर महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के कई भागों में मध्य मार्च से मध्य जून तक वर्षा का भारी अभाव रहने तथा भीषण गर्मी पड़ने से गन्ना की फसल को नुकसान होने की खबर है।
कुछ इलाकों में किसानों ने गन्ना की सूखती फसल की कटाई करके पशु चारे के रूप में उसका इस्तेमाल कर लिया। मालूम हो कि गन्ना के बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र दूसरे तथा कर्नाटक तीसरे नम्बर पर है।
यदि चीनी का भाव अगले मार्केटिंग सीजन में कुछ सुधरता है तो गन्ना के एफआरपी में हुई 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी का मिलर्स पर कोई खास प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
निर्यात पर रोक के बावजूद चीनी के घरेलू बाजार मूल्य में कोई विशेष गिरावट नहीं आई इसलिए आगे भी इसका दाम वर्तमान स्तर के आसपास ही घूमते रहने की उम्मीद है।