iGrain India - मंगलोर । पिछले कई महीनों से भारतीय प्रसंस्कृत काजू का निर्यात प्रदर्शन कमजोर चल रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने में भी इसका सिलसिला बरकरार रहा।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2022 में देश से 4212 टन काजू का निर्यात हुआ था जो अप्रैल 2023 में घटकर 3793 टन रह गया।
इसके फलस्वरूप समीक्षाधीन अवधि के दौरान इसकी निर्यात आय भारतीय मुद्रा में 249 करोड़ रुपए से 11 प्रतिशत घटकर 222 करोड़ रुपए तथा विदेशी मुद्रा में 3.30 करोड़ डॉलर से 17.35 प्रतिशत गिरकर 2.70 करोड़ डॉलर रह गई।
निर्यात आय में गिरावट आने का एक और कारण काजू के फ्री ऑन बोर्ड निर्यात ऑफर मूल्य में कमी आना रहा जो अप्रैल 2022 के 7777 डॉलर प्रति टन से फिसलकर अप्रैल 2023 में 7138 डॉलर प्रति टन रह गया।
ऑफर मूल्य कमजोर रहने के बावजूद भारतीय काजू के निर्यात में गिरावट आने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग मजबूत नहीं है अथवा मुख्य प्रतिद्वंदी वियतनाम इससे नीचे मूल्य पर अपने काजू का निर्यात कर रहा है।
लेकिन काजू नट शेल लिक्विड का निर्यात प्रदर्शन बेहतर बना हुआ है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इसका निर्यात अप्रैल 2022 के 720 टन की तुलना में अप्रैल 2023 के दौरान दोगुने से भी ज्यादा उछलकर 1757 टन पर पहुंच गया।
इसका मुख्य कारण इसके फ्री ऑन बोर्ड औसत इकाई निर्यात ऑफर मूल्य में जबरदस्त गिरावट आना रहा। यह ऑफर मूल्य अप्रैल 2022 में 1131 डॉलर प्रति टन चल रहा था जो अप्रैल 2023 में लुढ़ककर 665 डॉलर प्रति टन रह गया।
ऑफर मूल्य घटने के बावजूद निर्यात की मात्रा में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोत्तरी होने के कारण काजू नट शेल लिक्विड की निर्यात आय 6 करोड़ रुपए से 54.44 प्रतिशत उछलकर 10 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
डॉलर से भी निर्यात आय इसी अनुपात में बढ़ गई। इस तरह दोनों की संयुक्त निर्यात आमदनी भारतीय मुदा में 256 करोड़ रुपए से घटकर 232 करोड़ रुपए तथा विदेशी मुद्रा में 3.40 करोड़ डॉलर से गिरकर 2.80 करोड़ डॉलर पर सिमट गई।
हालांकि भारत काजू के उत्पादन में दुनिया का अग्रणी देश है लेकिन यहां अधिकांश माल की खपत घरेलू प्रभाग में ही लाभप्रद मूल्य पर हो जाती है इसलिए इसके निर्यात पर अब कम ध्यान दिया जाता है।