iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि घरेलू बाजार में अरहर (तुवर) का भाव काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है जिससे इसके बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।
कई कारणों से किसानों को इसका रकबा बढ़ाने का समुचित अवसर नहीं मिल रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 29 जून 2023 तक अखिल भारतीय स्तर पर अरहर का कुल उत्पादन क्षेत्र महज 1.11 लाख हेक्टेयर पर पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 5.40 लाख हेक्टेयर का सिर्फ 20 प्रतिशत है।
कर्नाटक एवं महाराष्ट्र इसके दो शीर्ष उत्पादक राज्य है लेकिन इस बार वहां मध्य जून तक वर्षा का भारी अभाव रहा। दुर्भाग्य से इन राज्यों में मानसून- पूर्व की वर्षा भी ठीक से नहीं हुई।
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सुझाव दिया था कि जब तक अच्छी बारिश न हो तब तक फसल की बिजाई में जल्दबाजी न करें। इसे देखते हुए अधिकांश क्षेत्रों में किसान मानसूनी बारिश का इंतजार करते रहे। 20 जून से मानसून की रफ्तार बढ़ी और अब महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के कई भागों में अच्छी वर्षा हो रही है।
वैसे मराठवाड़ा संभाग तथा मध्य महाराष्ट्र में बारिश का अभाव बना हुआ था। आगे तुवर की बिजाई की गति तेज होने की उम्मीद है।
अरहर के विपरीत मूंग की बिजाई में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है और इसका उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 8.73 लाख हेक्टेयर से उछलकर इस बार 11.23 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
इसकी खेती के लिए मौसम काफी हद तक अनुकूल बना हुआ है जिससे किसानों को बिजाई की रफ्तार बढ़ाने में परेशानी नहीं हो रही है। मूंग के समर्थन मूल्य में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।
कुलथी का रकबा 9 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा है जो पिछले साल के बराबर ही है। लेकिन उड़द का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 1.61 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस वर्ष 1.72 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
इसी तरह अन्य दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र भी पिछले साल के 2.67 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 4.00 लाख हेक्टेयर हो गया है।
इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 18.51 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 18.15 लाख हेक्टेयर रह गया। जुलाई में दलहन फसलों की बिजाई की गति तेज होने की उम्मीद है।
मालूम हो कि कर्नाटक सहित कुछ अन्य प्रांतों में मूंग की बिजाई के लिए आदर्श समय समाप्त हो चुका है मगर तुवर एवं उड़द के लिए अभी पर्याप्त समय बाकी है।