iGrain India - नई दिल्ली । देश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में सरसों का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आने से किसानों की समस्या बहुत बढ़ गई थी जिसे देखते हुए सरकार को इसकी खरीद के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू रबी मार्केटिंग सीजन में 27 जून तक राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी एजेंसी द्वारा करीब 9.20 लाख टन सरसों की खरीद की गई। न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर इसकी कीमत 5011 करोड़ रुपए बैठती है।
ज्ञात हो कि सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 5050 रुपए प्रति क्विंटल से 400 रुपए बढ़ाकर इस वर्ष 5450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
समर्थन मूल्य पर सरसों की हुई इस खरीद से देश के 3.84 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं गुजरात जैसे राज्यों में सरसों की सरकारी खरीद अभी जारी है।
चालू रबी मार्केटिंग सीजन में सरसों की सर्वाधिक खरीद वाले राज्यों की सूची में हरियाणा शीर्ष स्थान पर है जबकि राजस्थान दूसरे एवं मध्य प्रदेश तीसरे नम्बर पर है।
नैफेड द्वारा हरियाणा में इस बार 1891.72 करोड़ रुपए मूल्य की 3.47 लाख टन से कुछ अधिक सरसों की खरीद की गई। इसी तरह राजस्थान में 2.94 लाख टन से ज्यादा सरसों की खरीद हो चुकी है जिसका मूल्य 1605.68 करोड़ रुपए आंका गया।
इसी अवधि के दौरान मध्य प्रदेश में 913 करोड़ रुपए मूल्य की 1.67 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 43.47 करोड़ रुपए कीमत की 26,324 टन सरसों खरीदी गई।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने सरसों का घरेलू उत्पादन 2021-22 सीजन के 119.63 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 128.18 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है।
देश के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य - राजस्थान में सरसों का मॉडल मूल्य (जिस पर सर्वाधिक कारोबार होता है) फिलहाल 4250 से 5100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जो 5450 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे है।
वैसे पिछले कुछ दिनों से बाजार में थोड़ी तेजी-मजबूती के संकेत मिल रहे हैं। अन्य राज्यों में भी सरसों का भाव समर्थन मूल्य से नीचे है।