iGrain India - नई दिल्ली । देश के कई भागों में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से धान, मक्का एवं तुवर सहित कुछ अन्य प्रमुख खरीफ फसलों की बिजाई में देर हो गई। मौसम विभाग के अनुसार देश के 14 प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य अब भी अपर्याप्त वर्षा वाले हैं जिसमें से दो राज्यों में तो बारिश की भारी कमी बनी हुई है।
इससे खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है और किसानों को कम अवधि में पकने वाली फसलों की खेती की तरफ मुड़ना पड़ सकता है।
हालांकि 22 जून से मानसून की रफ्तार बढ़ी है जो कमोबेश 2-3 जुलाई तक बरकरार रहने की उम्मीद है लेकिन उसके बाद यह कुछ समय के लिए सुस्त पड़ सकता है।
इससे खरीफ फसलों की बिजाई पर असर पड़ेगा। जुलाई को आमतौर पर सर्वाधिक वर्षा वाला महीना माना जाता है और इस माह में खरीफ फसलों की जोरदार बिजाई भी होती है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार जिन इलाकों में मानसून अब तक कमजोर रहा है वहां किसान बारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं और 'इंतजार करो और देखों' की हालत में हैं।
हालांकि दक्षिण पश्चिम मानसून औपचारिक तौर पर लगभग समूचे देश में पहुंच गया है लेकिन महाराष्ट्र में 29 जून तक वर्षा की कमी 50 प्रतिशत तक बनी हुई थी। वहां सामान्य औसत के मुकाबले मराठवाड़ा संभाग में 68 प्रतिशत तथा विदर्भ संभाग में 48 प्रतिशत कम बारिश हुई थी।
तुवर (अरहर) तथा गन्ना के एक अग्रणी उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र में सरकार ने अच्छी बारिश होने तक खरीफ फसलों की बिजाई स्थगित रखने का सुझाव किसानों को दिया है ताकि बाद में कम या अपर्याप्त वर्षा होने की स्थिति में इसकी दोबारा बिजाई का झंझट न रहे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सोयाबीन और कपास के उत्पादन में भी दूसरे नम्बर पर रहता है।
इसी तरह पूर्वी भारत के बिहार तथा झारखंड में 29 जून तक सामान्य औसत के मुकाबले क्रमश: 69 प्रतिशत तथा 47 प्रतिशत कम बारिश हुई जबकि दक्षिण भारत के तेलंगाना प्रान्त में बारिश की कमी 49 प्रतिशत दर्ज की गई।
बिहार में कम बारिश को देखते हुए सरकार द्वारा एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई जिसमें खरीफ फसलों की बिजाई तथा सूखे से निपटने की तैयारी का आंकलन किया गया।
खरीफ सीजन के दौरान बिहार में धान एवं मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है जबकि कुछ अन्य फसलों का भी उत्पादन होता है। तेलंगाना प्रान्त में किसानों को कम समय में पककर तैयार होने वाली किस्मों में धान की खेती करने की सलाह दी गई है।