iGrain India - नई दिल्ली । मानसूनी वर्षा की कमी तथा आगे अल नीनो के प्रकोप की आशंका को देखते हुए धान के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे आगामी महीनों में चावल का भाव तेज हो सकता है।
वैश्विक बाजार में भी चावल का दाम बढ़ गया है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे खाद्य महंगाई का ग्राफ और भी ऊपर हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के बास्केट में चावल का योगदान 4.4 प्रतिशत का रहता है जबकि अरहर (तुवर) की भागीदारी 0.8 प्रतिशत होती है। तुवर के क्षेत्रफल में भी भारी गिरावट देखी जा रही है।
खाद्य महंगाई में चावल तथा तुवर की संयुक्त हिस्सेदारी 13.2 प्रतिशत की है। एक वरिष्ठ विश्लेषक के अनुसार यदि प्रमुख उत्पादक इलाकों में मानसून की अच्छी बारिश नहीं हुई तो चावल के प्रति चिंता बढ़ जाएगी।
लेकिन यदि पर्याप्त वर्षा होती है, जिसके अब अच्छे संकेत भी मिल रहे है, तो कोई विशेष चिंता की बात नहीं रहेगी। लगभग 61 प्रतिशत बिजाई क्षेत्र वाले प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून के देरी से पहुंचने के कारण 25 जून तक धान के क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले एक-तिहाई से अधिक की गिरावट आ गई। इसमें तेलंगाना, बिहार, झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्य भी शामिल हैं।
जहां तक दलहनों का सवाल है तो इसके उत्पादन क्षेत्र में सुधार हुआ है जो मुख्यत: मूंग की वजह से है जबकि तुवर का बिजाई क्षेत्र तो गत वर्ष से काफी पीछे चल रहा है।
एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 जून तक देश के 15 शीर्ष खाद्यान्न उत्पादक राज्यों में से 10 प्रांतों में सामान्य औसत के मुकाबले मानसून की बारिश कम हुई थी लेकिन बाद में कुछ प्रांतों में इसकी कमी घट गई।
मौसम विभाग ने अल नीनो के मजबूत होने की संभावना के बावजूद मानसून सीजन के दौरान देश में सामान्य बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अल नीनो का प्रकोप एवं प्रभाव आगामी समय में परिलक्षित होगा लेकिन ऐसा लगता है कि यदि मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुरूप देश में सामान्य बारिश होती है तब भी वर्षा का वितरण असमान एवं बेतरतीब होने की आशंका बनी रहेगी।
धान और तुवर खरीफ सीजन का सबसे प्रमुख अनाज और दलहन है। तुवर का रकबा और उत्पादन बढ़ना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि इसका घरेलू बाजार भाव पहले ही उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है।
यदि बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आई तो घरेलू बाजार पर इसका गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है। वैसे अभी इसकी बिजाई के लिए पर्याप्त समय बचा हुआ है।