iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू बाजार में तुवर की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार पिछले कुछ महीनों से लगातार गंभीर प्रयास कर रही है और तरह-तरह के नीतिगत फैसले कर रही है।
इसी श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में उसने अपने स्टॉक से खुले बाजार में तुवर का कुछ भाग उतारने का निर्णय लिया है। लेकिन जानकारों का मानना है कि सरकारी स्टॉक की बिक्री का तुवर के दाम पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
हो सकता है कि इससे कुछ समय तक अरहर (तुवर) की कीमतों में वृद्धि पर ब्रेक लग जाए या उसमें थोड़ी-बहुत नरमी आ जाए। इसका कारण यह है कि सरकार के पास तुवर का सीमित स्टॉक मौजूद है इसलिए वह प्रभावी ढंग से बाजार में हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी।
आमतौर पर माना जा रहा है कि सरकार के पास करीब 2.50 लाख टन तुवर का स्टॉक मौजूद है लेकिन एक विश्लेषक का मानना है कि यह स्टॉक महज 1.25 लाख टन के करीब ही है।
इसके तहत भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) के पास 63,724 टन तथा राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) के पास लगभग 60,000 टन तुवर का स्टॉक है।
यदि यह आंकड़ा सही है तो सरकारी तुवर घरेलू बाजार पर दबाव डालने में ज्यादा कारगर साबित नहीं होगी। लेकिन फिर भी इसका कुछ असर तो पड़ना चाहिए। देश में करीब प्रतिमाह करीब 3.50-4.00 लाख टन तुवर की मांग रहती है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में इसकी आवक उम्मीद के अनुरूप नहीं हो रही है जबकि इसका बिजाई क्षेत्र भी गत वर्ष से काफी पीछे चल रहा है।
अफ्रीकी तुवर के आयात में डेढ़ माह से भी ज्यादा समय की देर है। ऐसे माहौल में यदि सरकारी तुवर के स्टॉक को बाजार में उतारा जाता है तो हो सकता है कि दाम घटने की आशंका से बड़े-बड़े उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट भी अपना माल बाहर निकालना शुरू कर दे।
उपभोक्ता मामले विभाग ने नैफेड और एनसीसीएफ से कहा है कि वह ऑन लाइन नीलामी के जरिए अपनी तुवर का स्टॉक बाजार में उतारना शुरू करे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में जनवरी से अब तक तुवर के दाम में करीब 41 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है।
तुवर का न्यूतनम समर्थन मूल्य 2022-23 सीजन के लिए 6600 रुपए प्रति क्विंटल नियत है जबकि इसका थोक मंडी भाव कर्नाटक के कलबुर्गी एवं महाराष्ट्र के अकोला में 10000/10300 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।