iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए गन्ना का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 2022-23 सीजन के 305 रुपए प्रति क्विंटल से 10 रुपए बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने के बाद चीनी के लागत खर्च में 4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
प्राइवेट क्षेत्र के चीनी मिलर्स ने सरकार से इसके अनुमान में चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) तथा एथनॉल के उच्च मूल्य को भी बढ़ाने का सरकार से आग्रह किया है।
यह 315 रुपए प्रति क्विंटल का एफआरपी 10.25 प्रतिशत चीनी के औसत रिकवरी दर वाले गन्ने के लिए जिसे पिछले सप्ताह आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कैबीनेट समिति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी।
शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष के अनुसार उद्योग इस बात से सहमत है कि सरकार ने जो मूल्य वृद्धि की है वह गन्ना उत्पादकों की भलाई के लिए है क्योंकि इससे चीनी मिलों को गन्ना की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिचित करवाने में सहायता मिलेगी। लेकिन इसके साथ-साथ सरकार को चीनी मिलों के हितोँ का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
इस्मा अध्यक्ष के मुताबिक पिछले तीन साल से चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य में कोई संशोधन परिवर्तन या इजाफा नहीं हुआ है। गन्ना के एफआरपी में हुई 100 रुपए प्रति टन की बढ़ोत्तरी से चीनी उत्पादन का लागत खर्च स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा। इसी तरह एथनॉल के दाम में भी इसी अनुमान में बढ़ोत्तरी किए जाने की आवश्यकता है।
उत्तर प्रदेश में लागत खर्च सीधे-सीधे 3.5 प्रतिशत बढ़ जाएगा और यदि इसमें रिकवरी दर को भी शामिल कर लिया जाए तो कुल लागत में 4 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा।
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में गन्ना में चीनी की औसत रिकवरी दर 2021-22 के मार्केटिंग सीजन में सबसे ऊंची 11.46 प्रतिशत दर्ज की थी जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज औसत रिकवरी दर 11 प्रतिशत से भी ऊंची थी।
वर्तमान समय में चीनी का एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल है जो फरवरी 2019 में ही नियत किया गया था। इसके अलावा घरेलू खपत तथा औद्योगिक इस्तेमाल के लिए चीनी का अलग-अलग मूल्य निर्धारित किए जाने की आवश्यकता है।