iGrain India - नई दिल्ली । चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान देश से चीनी का अब निर्यात होना संभव नहीं है जबकि अगले सीजन के लिए भी इस पर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
समझा जाता है कि केन्द्र सरकार का वर्ष 2024 की पहली छमाही तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का इरादा नहीं है क्योंकि इसी अवधि में लोकसभा का चुनाव होने वाला है और सरकार घरेलू प्रभाग में इस मीठी वस्तु की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करेगी।
2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए सरकार ने नवम्बर 2022 में 60 लाख टन चीनी का निर्यात घोषित किया था और मिलर्स को 31 मई 2023 तक इसका शिपमेंट करने के लिए कहा था।
इस बीच यह स्पष्ट हो गया कि चीनी के घरेलू उत्पादन में 2021-22 सीजन के मुकाबले करीब 30 लाख टन की गिरावट आ गई। इसे देखते हुए सरकार ने दूसरे चरण में चीनी का निर्यात कोटा घोषित करने का इरादा त्याग दिया।
चूंकि इस वर्ष अल नीनो के आगमन की आशंका बनी हुई है जिससे गन्ना एवं चीनी के उत्पादन पर भी असर पड़ने की संभावना है इसलिए सरकार कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
जब तक अगले सीजन में उत्पादन का स्पष्ट परिदृश्य उभरकर सामने नहीं आ जाएगा तब तक सरकार सजग-सतर्क रहेगी और जल्दबाजी में चीनी निर्यात का निर्णय नहीं लेना चाहेगी।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक चालू मार्केटिंग सीजन के आरंभ में यानी 1 अक्टूबर 2022 को उद्योग के पास लगभग 61 लाख टन चीनी का पिछला बकाया स्टॉक मौजूद था जो 2023-24 सीजन की शुरुआत पर यानी 1 अक्टूबर 2023 को घटकर 60 लाख टन पर अटक सकता है।
दरअसल चीनी का सकल उत्पादन 2021-22 सीजन के 359 लाख टन से 32 लाख टन घटकर 2022-23 के सीजन में 327 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान है जिसमें से 60-61 लाख टन का निर्यात पहले ही हो चुका है।
चीनी की घरेलू मांग एवं खपत भी बढ़कर 270-275 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है। आमतौर पर सीजन के अंत में उद्योग के पास लगभग 60 लाख टन चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद रहता है ताकि अगले सीजन की पहली तिमाही की मांग एवं जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सके। इस दृष्टिकोण से तो मिलर्स के पास समुचित स्टॉक उपलब्ध रहेगा लेकिन अगले सीजन का उत्पादन काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।