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मानसूनी वर्षा की कमी राष्ट्रीय स्तर पर 2 जुलाई को घटकर 8 प्रतिशत पर सिमटी

प्रकाशित 03/07/2023, 08:21 pm
अपडेटेड 03/07/2023, 08:45 pm
मानसूनी वर्षा की कमी राष्ट्रीय स्तर पर 2 जुलाई को घटकर 8 प्रतिशत पर सिमटी

iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । पिछले 10-12 दिनों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता तीव्रता एवं गतिशीलता में भारी वृद्धि होने से देश के विभिन्न भागों में मूसलाधार वर्षा हुई जिससे सामान्य औसत स्तर की तुलना में वर्षा की कुल कमी 2 जुलाई तक घटकर महज 8 प्रतिशत रह गई जबकि 19 जून तक यह 30 प्रतिशत के आसपास थी।

हालांकि मध्य जून में बिपरजॉय महातूफान के कारण गुजरात एवं राजस्थान में जोरदार वर्षा हुई थी लेकिन उसके बाद मानसून में ठहराव आ गया था। इसके बाद 20 जून से मानसून पुनः सक्रिय हुआ और 2 जुलाई तक सैद्धांतिक रूप से समूचे देश में पहुंच गया।

30 जून को वर्षा की कमी 10 प्रतिशत रही थी। इससे साफ संकेत मिलता है कि मानसून की रफ्तार बढ़ी है। मौसम विभाग ने जुलाई माह में सामान्य औसत स्तर की 100 प्रतिशत बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।

5 जुलाई तक देश के कई राज्यों में मूसलाधार वर्षा होने का अनुमान लगाया गया है।

मानसून की अच्छी बारिश से खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है लेकिन वर्षा के असमान वितरण की समस्या बनी हुई है। कुछ इलाकों में जरूरत से ज्यादा वर्षा होने से खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलों की बिजाई में बाधा पड़ रही है जबकि कुछ क्षेत्रों में अब भी बारिश का इंतजार हो रहा है।

अच्छी बात यह है कि बिहार सहित पूर्वी भारत का जो भाग वर्षा की भारी कमी से पीड़ित और परेशान था वहां मानसून पूरी तरह सक्रिय हो गया है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में वर्षा का संकट कुछ इलाकों में अभी तक बरकरार है।

उम्मीद की जा रही है कि कुछ दिनों में वहां सामान्य बारिश होने लगेगी। मालूम हो कि महाराष्ट्र और कर्नाटक तुवर के दो शीर्ष उत्पादक  राज्य है।

इसी तरह मध्य प्रदेश के कई भागों में भारी वर्षा होने से उड़द की बिजाई प्रभावित होने की आशंका है। अन्य फसलों की बिजाई पर  भी असर पड़ सकता है लेकिन धान की रोपाई में किसानों को अच्छी सहायता मिलेगी।              

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