iGrain India - बैंकॉक । सामान्यतः थाईलैंड दुनिया में चावल तथा चीनी का दूसरा सबसे प्रमुख निर्यातक देश माना जाता है और दोनों महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों के वैश्विक व्यापार को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाता है।
वहां इस बार सूखे का गंभीर संकट मौजूद रहने की संभावना है जिसे देखते हुए किसानों को पानी की बचत करने तथा दूसरे सीजन में धान की खेती से दूर रहने का सुझाव दिया गया है।
लम्बे समय तक सूखे का प्रकोप जारी रहने पर खाद्य महंगाई बढ़ने तथा अर्थ व्यवस्था कमजोर पड़ने की संभावना है। वर्षा की कमी से वहां गन्ना तथा चीनी के उत्पादन में भी भारी गिरावट आने का अनुमान है।
सरकार ने देश में आपदा प्रबंधन प्लान बनाना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि चावल और चीनी के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत तथा थाईलैंड के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धी रहती है। यदि वहां उत्पादन में कमी आई तो भारत को परोक्ष रूप से फायदा हो सकता है।
मौसम विभाग का कहना है कि थाईलैंड में राष्ट्रीय स्तर पर इस बार सामान्य स्तर के मुकाबले 10 प्रतिशत तक कम बारिश हो सकती है जबकि अल नीनो मौसम चक्र का गहरा प्रकोप होने पर वर्षा में इससे भी ज्यादा कमी आ सकती है।
सरकार का कहना है कि देश में अगले दो साल तक सूखे का गंभीर संकट बरकरार रह सकता है। कम से कम वर्ष 2024 के आरंभ तक वहां सूखे से छुटकारा मिलना मुश्किल है।
अब थाईलैंड में दो सीजन के दौरान नहीं बल्कि केवल एक ही सीजन में धान की खेती करने के लिए किसानों से कहा जा रहा है ताकि पानी का स्टॉक बचाया जा सके।
मोटे अनुमान के अनुसार चालू वर्ष के दौरान थाईलैंड में चीनी का उत्पादन घटकर पिछले तीन साल के निचले स्तर पर सिमट जाने की संभावना है। वहां खाद्य महंगाई बढ़ने लगी है। आगामी समय में स्थिति और भी खराब होने की आशंका है।
कमजोर उत्पादन के कारण थाईलैंड से चावल तथा चीनी के शिपमेंट में बाधा पड़ सकती है क्योंकि एक तो वहां इसका निर्यात योग्य अधिशेष स्टॉक कम बचेगा और दूसरे, इसका दाम भी काफी ऊंचे पर रहेगा।
वर्ष 2023 में अब तक थाईलैंड में सामान्य औसत से वर्षा 28 प्रतिशत कम हुई है जबकि आगे वहां अल नीनो मौसम चक्र का खतरा मंडरा रहा है। इससे बागानी तथा बागवानी फसलों के उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
हालांकि भारत पर भी अल नीनो का खतरा आ सकता है लेकिन फिर भी यहां बारिश की स्थिति अब तक अपेक्षाकृत बेहतर है। भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक एवं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बना हुआ है।
चीनी के उत्पादन में भी ब्राजील के बाद दूसरे नम्बर पर है। पिछले सीजन में यह चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया था।