iGrain India - नई दिल्ली । भारत से पश्चिम अफ्रीकी देश- माली को सरकार से सरकार चैनल के अंतर्गत 2.90 लाख टन 100 प्रतिशत टूटे सफेद चावल का निर्यात होने की संभावना है।
यद्यपि आमतौर पर सितम्बर 2022 से ही टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन सरकारी स्तर पर इसके शिपमेंट की अनुमति है।
मई 2023 में केन्द्र सरकार ने जरूतमंद देशों को खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह टूटे सफेद चावल के निर्यात की स्वीकृति देने का फैसला किया था।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2.90 लाख टन चावल (टुकड़ी) के निर्यात से सम्बन्धित आग्रह को विदेश व्यापार मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि जब वाणिज्य मंत्रालय का अधीनस्थ निकाय- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस मामले का निरीक्षण- परीक्षण कर लेगा और सम्बन्धित नीति की घोषणा करेगा तब इस चावल के निर्यात की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
इस टुकड़ी चावल का शिपमेंट दो लॉट में होगा। पहला लॉट 2.40 लाख टन तथा दूसरा लॉट 50 हजार टन का होगा।
अफ्रीका के कुछ देश भारत सरकार से टूटे चावल के निर्यात की अनुमति देने का निरंतर आग्रह कर रहे थे जबकि वे सेला चावल का आयात पहले से ही कर रहे हैं। वहां सफेद टुकड़ी चावल का इस्तेमाल खाद्य उद्देश्य के लिए किया जाता है।
ज्ञात हो कि भारत सरकार ने अप्रैल 2023 में सेनेगल को 5 लाख टन तथा गाम्बिया को 50 हजार टन टुकड़ी चावल के निर्यात की स्वीकृति प्रदान की थी। इसके साथ-साथ इंडोनेशिया को भी 2 लाख टन चावल के निर्यात की मंजूरी दी गई थी। अब माली को 2.90 लाख टन टूटे चावल का निर्यात होने की संभावना है।
अफ्रीकी देश चावल आयात के लिए भारत पर काफी हद तक निर्भर रहते हैं क्योंकि यहां से उसे वियतनाम, थाईलैंड एवं पाकिस्तान आदि की तुलना में काफी सस्ते दाम पर चावल मिल जाता है।
हाल के दिनों में चावल का भाव तेज हुआ है। चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2023 के दौरान अफ्रीकी देशों द्वारा भारत से करीब 21 लाख टन चावल का आयात किया गया जो पिछले साल की इसी अवधि के आयात से लगभग 35 प्रतिशत अधिक रहा।
इस अवधि में बासमती चावल का निर्यात भी भारत से 21 प्रतिशत बढ़कर 8.31 लाख टन के करीब पहुंच गया।