iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपनी अल्पकालीन कैश जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से 500 अरब रुपए का अल्पकालीन ऋण जुटाने हेतु एवं टेंडर जारी किया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बैंकों से 500 अरब रुपए के अल्पकालीन कर्ज के लिए टेंडर तो जारी किया गया है लेकिन इस राशि का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा यह सब्सिडी के प्रवाह पर निर्भर करेगा।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के लिए खाद्य निगम को खाद्य सब्सिडी के तौर पर 1.37 ट्रिलियन रुपए आवंटित किए गए हैं जिसमें से एजेंसी को अप्रैल- जून की तिमाही के लिए 344 अरब रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि सब्सिडी की रकम प्राप्त नहीं होती है तो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए निगम को ऋण लेना पड़ेगा। जब सब्सिडी की राशि प्राप्त हो जाएगी तब इस ऋण का भुगतान कर दिया जाएगा।
यह निगम के लिए एक नियमित प्रक्रिया है। इस बार 26 जून को तीन माह के लिए 500 अरब रुपए के ऋण हेतु टेंडर निकाला गया है जिसमें बिड जमा करने की अंतिम तारीख 17 जुलाई नियत की गई है।
खाद्य निगम के पास 60 अरब रुपए की खाद्य क्रेडिट लिमिट है जिसके लिए गारंटी केन्द्र सरकार ने दी है। लेकिन अभी जो अल्पकालीन ऋण के लिए टेंडर निकाला गया है उसके लिए केन्द्र सरकार की कोई गारंटी नहीं है।
आधिकारियों का कहना है कि एफसीआई को फिलहाल 1.37 ट्रिलियन रुपए की खाद्य सब्सिडी आवंटित की गई है उसमें आगे बढ़ोत्तरी हो सकती है।
दरअसल केन्द्रीय आम बजट में वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए कुल 1.97 ट्रिलियन रुपए की खाद्य सब्सिडी का ही प्रावधान रखा गया था जो वित्त वर्ष 2022-23 की कुल खाद्य सब्सिडी 2.89 ट्रिलियन रुपए से 32 प्रतिशत कम था।
भारतीय खाद्य निगम के अलावा केन्द्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्यान्न की विकेन्द्रीकृत खरीद के लिए भी सब्सिडी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चीनी के लिए भी थोड़ी सब्सिडी देती है।
पिछले साल मूल रूप से 2.07 ट्रिलियन रुपए की खाद्य सब्सिडी का प्रावधान किया गया था जबकि वास्तविक सब्सिडी इससे करीब 820 अरब रुपए अधिक रही थी।