iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से गैर बासमती चावल का कुल निर्यात बढ़कर 177.80 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) के सकल शिपमेंट 172.60 लाख टन से 5.20 लाख टन ज्यादा था।
इसी तरह इसकी निर्यात आमदनी भी 6.12 अरब डॉलर से बढ़कर 6.35 अरब डॉलर पर पहुंच गई। गैर बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि का सिलसिला चालू वित्त वर्ष में भी जारी है।
ध्यान देने की बात है कि भारतीय चावल निर्यातकों को अनेक तरह की चुनौतियों एवं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पिछले साल 8 सितम्बर को केन्द्र सरकार ने एकाएक 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और गैर बासमती श्रेणी के साबुत कच्चे (सफेद) चावल एवं स्टीम चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया।
इससे ऐसा लग रहा था कि भारत से चावल का निर्यात काफी सीमित हो जाएगा। कुछ समय तक विदेशी आयातक इस 20 प्रतिशत के सीमा शुल्क का भार उठाने से हिचकते रहे लेकिन अंततः उन्हें इसे स्वीकर करना ही पड़ा।
दरअसल 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगने के बावजूद भारतीय चावल अन्य प्रमुख निर्यातक देशों से सस्ता था क्योंकि भारत से निर्यात प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए थाईलैंड एवं वियतनाम जैसे देशों के निर्यातकों ने अपने चावल का दाम बढ़ा दिया। इससे भारतीय चावल की खरीद के प्रति आयातकों की दिलचस्पी बढ़ गई।
वस्तुतः केन्द्र सरकार को भय था कि पूर्वी राज्यों में मानसून की कम बारिश होने से धान-चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। वहां बंगाल, झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में वर्षा कम होने से धान का क्षेत्रफल घट गया था।
लेकिन इसके बावजूद केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान में चावल का कुल उत्पादन बढ़कर 1355 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त कर दी।