iGrain India - बैंकॉक । थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया में अवस्थित एक देश है जो चावल तथा चीनी के निर्यात में दूसरे स्थान पर रहता है। लेकिन वहां पानी का भारी संकट उत्पन्न हो गया है जिसे देखते हुए सरकार ने किसानों को धान एवं गन्ना का क्षेत्रफल घटाने के लिए कहा है।
वैसे भी थाईलैंड को अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप का डर सता रहा है जिससे वहां सूखे का गंभीर संकट पैदा होने की आशंका है। इसके फलस्वरूप चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है और इसका निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।
इससे वैश्विक बाजार में असंतुलन की स्थिति बनने की संभावना है।
ध्यान देने वाली बात है कि भारत से चीनी का निर्यात पहले ही बंद हो चुका है और निकट भविष्य में इसके दोबारा शुरू होने की कोई संभावना नहीं है।
भारत पर भी अल नीनो मौसम चक्र का खतरा मंडरा रहा है जिससे आगामी मार्केटिंग सीजन में एक बार चीनी का घरेलू उत्पादन घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
भारत से निर्यात बंद रहने के कारण चीनी के वैश्विक बाजार मूल्य में तेजी आ गई है। जहां तक सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ब्राजील का सवाल है तो अल नीनो उसे भी नहीं छोड़ने वाला है।
परम्परा के अनुसार अल नीनो के प्रभाव से ब्राजील के आधे भाग में सूखे की स्थिति रहती है जबकि शेष आधे हिस्से में अत्यन्त मूसलाधार बारिश होती है और भयंकर बाढ़ आ जाती है।
उल्लेखनीय है कि ब्राजील में 90 प्रतिशत चीनी का उत्पादन मध्य दक्षिणी क्षेत्र में होता है जहां प्रचंड बारिश हो सकती है। इससे गन्ना की कटाई, ढुलाई एवं पेराई में गंभीर बाधा उत्पन्न हो सकती है।
इस तरह वैश्विक बाजार को नियंत्रित एवं संचालित करने वाले इन तीनों देशों में समस्या उत्पन्न होगी जिससे चीनी का भाव तेजी से उछल सकता है। यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया एवं अमरीका जैसे देशों में बाजार को संभालने की पूरी क्षमता नहीं है।