iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ सीजन के सबसे प्रमुख दलहन-अरहर का घरेलू बाजार भाव अत्यन्त ऊंचे स्तर पर होने से इसके बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इसके विपरीत क्षेत्रफल में भारी गिरावट देखी जा रही है।
दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों-कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में अरहर (तुवर) का रकबा गत वर्ष से काफी पीछे चल रहा है। कर्नाटक में तो चालू खरीफ सीजन के दौरान 1 जुलाई 2023 तक तुवर का कुल उत्पादन क्षेत्र 2.21 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 5.15 लाख हेक्टेयर से 2.94 लाख हेक्टेयर कम है।
जून माह के दौरान वहां बारिश का अभाव रहा। वर्षा की कमी महाराष्ट्र प्रान्त के मराठवाड़ा संभाग में सबसे ज्यादा देखी गई। वहां चालू मानसून सीजन के दौरान सामान्य औसत के मुकाबले वर्षा की कमी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा देखी जा रही है।
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सुझाव दिया था कि तुवर की बिजाई में जल्दबाजी न दिखाएं और जब तक अच्छी वर्षा नहीं होती तब तक संयम रखें। मराठवाड़ा संभाग में किसान अब भी अच्छी मानसूनी बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि तुवर की बिजाई के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आदर्श समय अभी समाप्त नहीं हुआ है लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे-वैसे किसानों के साथ-साथ सरकार की चिंता भी बढ़ती जा रही है।
ध्यान देने वाली बात है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए भारी नुकसान के कारण 2022-23 सीजन के दौरान तुवर के उत्पादन में काफी कमी आ गई जिससे कीमत तेजी से बढ़ने लगी।
केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में अरहर की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए अनेक एहतियाती कदम उठाए मगर इसका अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया।
2 जून 2023 को तुवर एवं उड़द पर भंडारण सीमा लागू कर दी गई और राज्य सरकारों को इसका सख्ती से अनुपालन करवाने हेतु आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया। इसके बाद सरकार ने अपने स्टॉक से 50 हजार टन तुवर को घरेलू बाजार में उतारने का फैसला किया।
हलांकि स्टॉक सीमा लागू होने के बाद तुवर की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लग गया और उसमें कुछ गिरावट आ गई लेकिन फिर भी इसका स्तर काफी ऊंचा है।
सरकार को उम्मीद है कि अगले महीने (अगस्त) से जब अफ़्रीकी तुवर का आयात आरंभ होगा तब इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आएगी।