iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा खरीफ एवं रबी मार्केटिंग सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद करके उस कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलर्स को आवंटित किया जाता है और फिर उससे 67 प्रतिशत की रिकवरी दर के आधार पर चावल प्राप्त किया जाता है।
राइस मिलर्स सरकार को चावल की आपूर्ति तब तक करते हैं जब तक उन्हें आवंटित धान का कोटा समाप्त नहीं हो जाता है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन में सरकारी एजेंसियों द्वारा 2 जुलाई 2023 तक 843.75 लाख टन धान खरीदा गया। इसकी कस्टम मिलिंग के बाद 566.83 लाख टन चावल प्राप्त होना है।
इसके तहत आंध्र प्रदेश में 28.34 लाख टन, तेलंगाना में 87.33 लाख टन, आसाम में 3.94 लाख टन, बिहार में 28.17 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 58.65 लाख टन, हरियाणा में 39.77 लाख टन, मध्य प्रदेश में 30.93 लाख टन, महाराष्ट्र में 12.28 लाख टन, उड़ीसा में 53.71 लाख टन,
पंजाब में सर्वाधिक 122.01 लाख टन, तमिलनाडु में 20.25 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 43.89 लाख टन, उत्तराखंड में 6 लाख टन तथा पश्चिम बंगाल में 23.36 लाख टन चावल प्राप्त होना है।
इसके अलावा गुजरात में 1.18 लाख टन, झारखंड में 1.17 लाख टन, केरल में 4.96 लाख टन, चंडीगढ़ में 13 हजार टन, हिमाचल प्रदेश में 9 हजार टन तथा जम्मू कश्मीर में 23 हजार टन चावल के समतुल्य धान खरीद गया है।
केन्द्रीय पूल में चावल का पर्याप्त स्टॉक मौजूद रहना आवश्यक है क्योंकि इस वर्ष यदि अल नीनो मौसम चक्र का गहरा प्रकोप रहा तो खरीफ कालीन धान के उत्पादन में कमी आ सकती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों को चावल की नियमित आपूर्ति की जा रही है और कई अन्य मदों में भी इसका वितरण-विपणन हो रहा है।
घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत 5 जुलाई से चावल की ई-नीलामी भी आरंभ कर दी है।