iGrain India - निजामाबाद । चूंकि हल्दी का भाव उछलकर गत सात साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है इसलिए इसकी खेती में उत्पादकों का उत्साह एवं आकर्षण बढ़ने के आसार हैं।
पहले चालू वर्ष के दौरान इसके बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन अब लगता है कि गिरावट ज्यादा बड़ी नहीं होगी।
दरअसल प्रमुख उत्पादक इलाकों में आरंभिक चरण के दौरान बारिश का अभाव रहने से हल्दी की बिजाई की गति काफी सुस्त थी मगर अब इसकी रफ्तार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।
पहले इसका क्षेत्रफल 20 प्रतिशत तक घटने की संभावना थी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2021-22 सीजन के दौरान हल्दी का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 3.33 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था जबकि 2022-23 सीजन के लिए इसके क्षेत्रफल एवं उत्पादन के बारे में सरकारी आंकड़ों का इंतजार हो रहा है।
एक अग्रणी कॉमोडिटी एक्सचेंज में अगस्त अनुबंध के लिए हल्दी का वायदा भाव 4 जुलाई को बढ़कर 9842 रुपए प्रति क्विंटल तथा अक्टूबर डिलीवरी के लिए वायदा मूल्य 10,320 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इसी तरह स्पॉट मार्केट में पॉलिशदार हल्दी का भाव निजामाबाद मंडी में सुधरकर 8901.50 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार दो कारणों से हल्दी का भाव बढ़ रहा है। पहली बात तो यह है कि मार्च-अप्रैल की मूसलाधार असामयिक (बेमौसमी) वर्षा से हल्दी की खड़ी फसल क्षतिग्रस्त हो गई और अब कर्नाटक सहित आसपास के क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा का अभाव देखा जा रहा है।
सांगली (महाराष्ट्र) के एक अग्रणी व्यापारी ने कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र में बारिश की भारी कमी है। इससे बिजाई पर असर पड़ सकता है। लेकिन इरोड के एक व्यापारी ने कहा कि हाल के दिनों में लगातार हुई बारिश से वहां हल्दी के माल में नमी का अंश बहुत ज्यादा बढ़ गया।
इसके स्टॉक को सूखाने का समय नहीं मिल रहा है। इससे करीब 7-8 लाख बोरी (50 किलो की प्रत्येक बोरी) या 35-40 हजार टन हल्दी का स्टॉक महाराष्ट्र में क्षतिग्रस्त हो गया है।
इसका रंग भी पीला से बदलकर लाल हो गया है। इसके चलते हल्दी के दाम में तेजी का माहौल बनता जा रहा है। देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के देर से आने तथा करीब एक पखवाड़े तक सुस्त रहने का भी हल्दी बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा।
निजामाबाद के एक व्यापारी के मुताबिक पहले हल्दी के बिजाई क्षेत्र में 20-25 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन कीमतों में अच्छी बढ़ोत्तरी होना किसानों के लिए एक परोक्ष वरदान साबित हो रहा है और अब वे इसकी खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
तमिलनाडु के पश्चिमी भाग तथा कर्नाटक में किसान हल्दी की बिजाई में दोबारा व्यस्त हो गए हैं। आमतौर पर हल्दी की बिजाई मई से जुलाई के बीच होती है। अभी इसकी खेती के लिए आदर्श समय बचा हुआ है इसलिए क्षेत्रफल में सुधार आने की उम्मीद की जा सकती है।