iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 5 जुलाई को आयोजित पहली ई-नीलामी के तहत करीब 3.83 लाख टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया था और इसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य भी 3100/3175 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था।
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ऊंचे बाजार भाव के बावजूद सरकारी चावल की खरीद में व्यापारियों ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार मिजोरम (त्रिपुरा) के लिए 2500 टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया गया था और इसका आरक्षित मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ था।
लेकिन इसकी खरीद केवल 10 टन की हुई और भाव 3173 रुपए प्रति क्विंटल रहा। इसी तरह गुजरात में 20 हजार टन, कर्नाटक में 33,000 टन तथा महाराष्ट्र में 20 हजार टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया गया था और इसका आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) क्रमश: 3173 रुपए प्रति क्विंटल, 3100/3173 रुपए प्रति क्विंटल तथा 3173 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ था।
लेकिन नीलामी प्रक्रिया के दौरान गुजरात में इसी मूल्य स्तर पर 50 टन चावल खरीदा गया। महाराष्ट्र में भी 3173 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 70 टन चावल की खरीद हुई।
कर्नाटक में 10 रुपए ऊंचा यानी 3183 रुपए प्रति क्विंटल की बोली के साथ 40 टन चावल की खरीद की गई। भारी-भरकम ऑफर तथा ऊंचे बाजार भाव के बावजूद इन चारों राज्यों में सरकारी चावल की नगण्य खरीद होने से खाद्य निगम और केन्द्र सरकार की चिंता बढ़ सकती है।
अन्य राज्यों का विवरण प्राप्त होने के बाद ही पता चल सकेगा कि चावल की बिक्री में खाद्य निगम को कैसी सफलता मिली है। यदि बिक्री उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई तो एफसीआई तथा खाद्य मंत्रालय को इसके कारणों का पता लगाकर कठिनाई को दूर करने का प्रयास करना होगा।
भारत अत्यन्त विशाल देश है और इसलिए यहां चावल की खपत बड़े पैमाने पर होती है। व्यापारियों-स्टॉकिस्टों के पास चावल का सीमित स्टॉक बताया जा रहा है जिससे कीमतों में मजबूती बनी हुई है।
शायद 3100/3173 रुपए प्रति क्विंटल का आरक्षित मूल्य खरीदारों को रास (पसंद) नहीं आ रहा है या कुछ और कारण हो सकता है। चावल की अगली नीलामी बिक्री पर सबकी नजर लगी रहेगी।