iGrain India - कोच्चि । केरल में मानसून पूर्व की वर्षा कम होने, दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में एक सप्ताह की देर होने तथा शुरूआती चरण में इसकी चाल सुस्त रहने से छोटी (हरी) इलायची की कीमतों में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा था।
नीलामी केन्द्रों में इसकी आवक भी अपेक्षाकृत कम हो रही थी जबकि उत्तरी भारत के स्टॉकिस्ट आगामी त्यौहारी सीजन की मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए इसका स्टॉक बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे।
अब केरल के प्रमुख उत्पादक जिलों में भारी वर्षा होने लगी है जिससे इलायची के बागानों में पानी जमा होने तथा परिपक्व दाने में नमी का अंश बढ़ने की संभावना है।
इसके फलस्वरूप नई फसल की तुड़ाई-तैयारी तथा क्वालिटी प्रभावित होने की संभावना है लेकिन साथ ही साथ छोटे-छोटे दाने के पुष्ट होने की उम्मीद भी है।
कुछ दिनों तक इसके कारोबार पर असर पड़ सकता है लेकिन जब मौसम साफ हो जाएगा और नए माल की जोरदार तुड़ाई-तैयारी आरंभ हो जाएगी तब नीलामी केन्द्रों में इसकी आपूर्ति बढ़ने लगेगी। इससे कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।
लेकिन दिसावरी व्यापारियों, स्थानीय डीलरों तथा निर्यातकों की लिवाली बढ़ने पर कीमतों में ज्यादा नरमी भी नहीं आएगी।
हालांकि पिछले साल छोटी इलायची के घरेलू उत्पादन में काफी गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा था और वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 के दौरान इसका निर्यात भी 10,571 टन से घटकर 7352 टन पर सिमट गया था लेकिन नीलामी केन्द्रों में हो रही अच्छी आवक को देखते हुए लगता है कि कुल उत्पादन में कोई खास गिरावट नहीं आई।
मालूम हो कि छोटी इलायची का मार्केटिंग सीजन अगस्त से जुलाई के बीच रहता है। इस दृष्टि से देखा जाए तो इसका 2022-23 का मार्केटिंग सीजन बिल्कुल अंतिम चरण में पहुंच गया है।
इसके बावजूद नीलामी केन्द्रों में 60-62 हजार किलो इलायची की आवक हो रही है जिसे काफी अच्छा माना जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि 2023-24 सीजन के दौरान छोटी इलायची का घरेलू उत्पादन सामान्य रहेगा और कीमतों में भारी चढ़ाव-उतार नहीं आएगा।