iGrain India - नई दिल्ली । गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 2022-23 सीजन के 305 रुपए प्रति क्विंटल से 10 रुपए बढ़ाकर 2023-24 के सीजन हेतु 315 रुपए प्रति क्विंटल नियत करने की सरकारी घोषणा से चीनी के लागत खर्च में स्वाभाविक रूप से बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
इसे देखते हुए शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार से चीनी के एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में अपेक्षित बढ़ोत्तरी करने का आग्रह किया है।
इस्मा अध्यक्ष के अनुसार अंतिम बार फरवरी 2019 में चीनी का एमएसपी 2900 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़ाकर 3100 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था और उसके बाद से इसमें कोई संशोधन परिवर्तन नहीं किया गया है जबकि इस बीच गन्ना के एफआरपी में नियमित रूप से बढ़ोत्तरी होती रही है।
लेकिन सरकार की अपनी दलील और विवशता है इसलिए वह चीनी का एमएसपी बढ़ाने के मूड में नहीं है। दरअसल चालू वर्ष के दौरान कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा का तथा अगले साल लोकसभा का चुनाव होने वाला है।
ऐसी हालत में केन्द्र सरकार चीनी के दाम को मौजूदा स्तर से ऊंचा उठाने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहेगी। इसके साथ-साथ उसका यह भी कहना है कि चीनी मिलों को एथनॉल के उत्पादन तथा कारोबार से अच्छी आमदनी हो रही है। वैसे भी चीनी का एक्स फैक्टरी भाव अभी लागत खर्च के लगभग समतुल्य या इससे कुछ ऊपर है।
चीनी का निर्यात 31 मई के बाद बंद हो चुका है इसलिए घरेलू प्रभाग के लिए इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम हो गई है। चीनी का घरेलू उत्पादन 2021-22 के 359 लाख टन से 32 लाख टन घटकर 2022-23 के सीजन में 327 लाख टन के करीब सिमट गया।
निर्यात बंद होने से घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहने की उम्मीद है। बाजार भाव में तेजी को नियंत्रित करने के लिए सरकार चीनी का फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा ऊंचे स्तर पर नियत कर रही है।
गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन का नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर अक्टूबर में शुरू होगा। सरकार की नजर अल नीनो पर भी लगी हुई है। यदि इसका गंभीर प्रकोप रहा तो देश में चीनी का उत्पादन एक बार फिर प्रभावित हो सकता है।